![राहुल–अखिलेश की रैली का नजारा और बातचीत के वीडियो क्या बता रहे हैं?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202405/664b106891a19-akhilesh-yadav--rahul-gandhi-205711115-16x9.jpg)
राहुल–अखिलेश की रैली का नजारा और बातचीत के वीडियो क्या बता रहे हैं?
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राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली में कार्यकर्ताओं के बैरिकेडिंग तोड़ने का मामला काफी गंभीर लगता है. रैली में आकर हंगामा और उत्पात करने वाले क्या वास्तव में सपा कार्यकर्ता ही थे या असामाजिक तत्व? और समाजवादी पार्टी की रैलियों में ऐसा बार बार क्यों हो रहा है?
कोई नेता चुनावी रैली में पहुंचे और बगैर भाषण दिये लौट जाये, समझा तो यही जाएगा कुछ तो गड़बड़ है. अगर रैली में भीड़ न होने के चलते ऐसा हो तो बात अलग है, लेकिन भीड़ के उत्पात के कारण बैरंग लौट जाना पड़े तो बहुत गंभीर मामला समझा जाएगा - राहुल गांधी और अखिलेश यादव की फूलपुर रैली को लेकर तो यही ऐसा ही लग रहा है.
अब इससे अजीब बात क्या होगी कि रैली में आये लोगों को संबोधित करने के बजाय राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे बड़े बड़े नेता बैठ कर आपस में बात करें और उसकी वीडियो बना कर बाद में जारी किया जाये.
और दोनों नेताओं के बीच जो बातचीत भी हो रही है, वो भी कोई ऐसी नहीं है जो किसी चुनावी रैली के हिसाब से हो. ये ठीक है कि वीडियो में दोनों नेता चुनाव घोषणा पत्रों की बात करते हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर होते हैं, लेकिन मंच पर बैठ कर राहुल गांधी, अखिलेश यादव से उनके पिता के बारे में पूछते हैं.
'आप मुझे अपने पिता जी के बारे में बताइए!'
'नेता जी और उनके साथ के लोग जमीनी राजनीति करते थे... नेता जी कुश्ती और पहलवानी के बड़े शौकीन थे... वो इसीलिए धरतीपुत्र कहे गये... क्योंकि वह जमीन की बात को समझते थे.'
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जम्मू कश्मीर के पुलवामा के वखेरवान की रहने वाली राबिया यासीन ट्रक चलाती हैं. राबिया कश्मीर की पहली ट्रक ड्राइवर हैं. जम्मू-कश्मीर में भी अब महिलाएं हर क्षेत्र में पहचान बना रही हैं. राबिया का कहना है कि उनके पति और परिवार ने इस काम के लिए उनका पूरा समर्थन किया, तभी वे ट्रक ड्राइवर बन पाई हैं. देखें.
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आरएसएस से 32 साल तक जुड़ी रहीं गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. 1995-96 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में इसकी अध्यक्ष रहीं. 2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.
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महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने एक जोरदार बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए. शिंदे ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हल्के में लेगा, तो वे उसकी टांग पलट देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कोई मतभेद नहीं है.
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