राष्ट्रपति भवन में शुद्ध शाकाहारी भोजन बनने की बात झूठी, द्रौपदी मुर्मू के आने के बाद नहीं बदली भोजन व्यवस्था
AajTak
ऐसी अफवाह है कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद से राष्ट्रपति भवन में सिर्फ शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाने का आदेश जारी हुआ है. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति भवन में अपने देशी-विदेशी मेहमानों की पसंद का ध्यान रखते हुए भोजन तैयार करता है. उन्हें कोई खास भोजन खाने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है.
राष्ट्रपति भवन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की गई है कि नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शुद्ध शाकाहारी हैं, लेकिन विदेशी मेहमानों और राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले समारोह और उत्सवों में शामिल होने वाले अतिथियों की भोजन प्राथमिकता का पूरा ध्यान रखा जाता है. राष्ट्रपति भवन मेजबानों के लिए डाइनिंग टेबल और दस्तरख्वान पर भी सभी की अलग-अलग पसंद का ध्यान रखते हुए व्यंजन सजाता है.
भोजन व्यवस्था में नहीं हुआ बदलाव
सूत्रों के मुताबिक भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अपनी भोजन की प्राथमिकता कभी अपने मेहमानों और अतिथियों पर नहीं थोपते. लिहाजा नई राष्ट्रपति के राष्ट्रपति भवन में निवास के बाद भी यहां मेहमाननवाजी की परंपरा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने कहा कि जब हमने आधिकारिक रूप से भोजन व्यवस्था में बदलाव की कोई घोषणा नहीं की तो इससे ही यह साबित हो जाता है कि वेज-नॉनवेज भोजन को लेकर सिर्फ अफवाह ही उड़ रही है.
प्याज-लहसुन तक नहीं खातीं राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू के छोटे भाई तारणीसेन टुडू ने पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह सादा और शाकाहारी भोजन ही पसंद करती हैं. वह खाने में प्याज और लहसुन तक नहीं खाती हैं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.