राष्ट्रपति चुनाव: 'मैं कभी आपकी पार्टी का ही था', वोटिंग से ठीक पहले बीजेपी सदस्यों से यशवंत सिन्हा की अपील
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यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि 'ये चुनाव सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच का नहीं है, बल्कि उन दो विचारधाराओं और आदर्शों का चुनाव है, जिनका हम प्रतिनिधित्व करते हैं. मेरी विचारधारा भारत का संविधान है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार को मतदान होना है. उससे पहले विपक्ष से उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने विधायकों और सांसदों से अपील की है. सिन्हा ने कहा कि अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें और मुझे वोट दें. उन्होंने बीजेपी के वोटर्स से भी खास अपील की है. इसके साथ ही ये भी कहा कि मैं भी कभी आपकी ही पार्टी का था. हालांकि, अब वो पार्टी खत्म हो चुकी है और पूरी तरह अलग और एक नेता के नियंत्रण में है. ऐसे में ये चुनाव भाजपा में बेहद जरूरी 'कोर्स करेक्शन' का आखिरी मौका है. मेरा चुनाव सुनिश्चित करके आप बीजेपी और देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए महान काम करेंगे.
यशवंत सिन्हा का कहना था कि मैं अपना चुनाव अभियान खत्म करने के बाद कल नई दिल्ली लौटा हूं. 28 जून को केरल से शुरू हुआ प्रचार अभियान 16 जुलाई को मेरे गृह राज्य झारखंड में समाप्त हुआ है. इस अवधि में मैंने 13 राज्यों की राजधानियों का दौरा किया. प्रत्येक स्थान पर मैंने अपनी उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले दलों के सांसदों और विधायकों के साथ बैठकें की. कुल मिलाकर पचास से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.
सिन्हा ने आगे कहा कि 'ये चुनाव सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच का नहीं है, बल्कि उन दो विचारधाराओं और आदर्शों का चुनाव है, जिनका हम प्रतिनिधित्व करते हैं. मेरी विचारधारा भारत का संविधान है. मेरे प्रतिद्वंदी उम्मीदवार उन ताकतों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी विचारधारा और एजेंडा संविधान बदलना है. मैं भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा के लिए खड़ा हूं. मेरे प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को उन लोगों का समर्थन प्राप्त है, जो लोकतंत्र पर हर दिन हमले कर रहे हैं.'
यशवंत सिन्हा ने आगे कहा कि 'मैं धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए खड़ा हूं. जो हमारे संविधान का एक मजबूत स्तंभ है और भारत की सदियों पुरानी विविधता में एकता से भरी गंगा-जमुनी विरासत का सबसे अच्छा उदाहरण है. मेरे प्रतिद्वंदी उम्मीदवार उस पार्टी से हैं, जिसने इस स्तंभ को नष्ट करने और बहुसंख्यक वर्चस्व स्थापित करने के अपने संकल्प को छुपाया नहीं है. मैं सर्वसम्मति और सहयोग की राजनीति को प्रोत्साहित करने के लिए खड़ा हूं.'
'मेरे प्रतिद्वंदी को एक ऐसी पार्टी का समर्थन पात्र है, जो टकराव और संघर्ष की राजनीति करती है. मैं बिना भेदभाव प्रत्येक भारतीय की संवैधानिक रूप से प्राप्त स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खड़ा हूं. मेरे प्रतिद्वंदी को उन लोगों ने चुना है जो इस सिद्धांत का उल्लंघन कर रहे हैं. मैं सामंजस्यपूर्ण केंद्र राज्य संबंधों और मिलकर काम करने वाले संघवाद के लिए खड़ा हूं.'
सिन्हा ने आगे कहा कि इससे पहले कभी भी नई दिल्ली में इस तरह की शक्ति केंद्रित नहीं हुई है और राज्यों ने कभी भी इतना अपमानित और असहाय महसूस नहीं किया है. उन्होंने आगे कहा कि कल आप अपना वोट डालने जाएं तो उससे पहले मैं आपसे एक आखिरी अपील करना चाहता हूं. कृपया अपने आप से पूछें- भारत का राष्ट्रपति कैसा होना चाहिए? जो संविधान की रक्षा करे या जो प्रधानमंत्री कर रक्षा करे?
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