राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर सियासत! हां-ना के बीच फंसा विपक्ष, CM हिमंत बोले- ये बाबर के लोगों से डरते हैं
AajTak
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भारत के लोग उत्साहित हैं. हम लोग तो तरस रहे हैं कि निमंत्रण मिले. उनको निमंत्रण मिला है तो वे उसमें भी राजनीति देख रहे हैं. विपक्ष के नेता इन्विटेशन मिलने के बाद भी पता नहीं क्या सोच-विचार कर रहे हैं. राजनीति को परे रखकर उन्हें अयोध्या जाना चाहिए.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, इसे लेकर तरह-तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्षी पार्टियों और उनके नेताओं के 22 जनवरी 2024 के कार्यक्रम में शिरकत करने को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, 'विपक्ष के लोग अयोध्या जाएं या न जाएं, कोई फर्क नहीं पड़ता. इससे वहां की रौनक कम नहीं होगी'.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'भारत के लोग उत्साहित हैं. हम लोग तो तरस रहे हैं कि निमंत्रण मिले. उनको निमंत्रण मिला है तो वे उसमें भी राजनीति देख रहे हैं. विपक्ष के नेता इन्विटेशन मिलने के बाद भी पता नहीं क्या सोच-विचार कर रहे हैं. राजनीति को परे रखकर उन्हें अयोध्या जाना चाहिए. लेकिन बाबर के लोगों से डरते हैं ये. राहुल गांधी और कांग्रेस के नेता नहीं जाएंगे राम मंदिर देखने. जब हिन्दुओं का दबाव बढ़ेगा सिर्फ तभी जाएंगे ये'.
राजनीति और आस्था को अलग रखना चाहिए: खुर्शीद
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी पार्टी के नेताओं के अयोध्या जाने के सवाल पर कहा, 'हम धर्म को राजनीति से जोड़ना पसंद नहीं करते हैं. आस्था राजनीति से अलग होती है. लोग अपने हिसाब से काम करते हैं. बस राजनीति और आस्था को अलग रखना चाहिए, हमारा ये मानना है'. बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सोनिया गांधी के अलावा, कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को राम मंदिर उद्घाटन के कार्यक्रम में आमंत्रित किया है.
हम इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे: सीताराम येचुरी
राम मंदिर लोकार्पण समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी को भी मिला है. उन्होंने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, 'राम मंदिर का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री करेंगे. सीएम योगी भी वहां रहेंगे. संवैधानिक पदों पर बैठे लोग वहां रहेंगे. यह धर्म का खुला राजनीतिकरण है. यह राजनीतिक उद्देश्यों के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का घोर दुरुपयोग है. इसलिए हम इस बारे में स्पष्ट हैं कि हम इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे'.
'साहित्य आजतक 2024' के मंच पर शनिवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विशेष रूप से आमंत्रित थीं. मौका था 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' के 2024 के समारोह का. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने अलग-अलग 8 कैटेगरी में सम्मान दिए और लेखक गुलज़ार को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया. देखें इस दौरान महामहीम का भाषण.
महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत के बाद पीएम मोदी नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है. कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया. हमारी सरकार ने मराठी को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया. मातृभाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है.
भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन के साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम ने इस दौरान बताया कि महाराष्ट्र में महायुति की जीत क्यों ऐतिहासिक है? देखें.
पिछले हफ्ते तक कैलाश गहलोत अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री थे. उन्होंने न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया, बल्कि आप पार्टी भी छोड़ दी. इसके अगले ही दिन बीजेपी ने उन्हें बड़े धूमधाम से पार्टी में शामिल कर लिया. कैलाश गहलोत ने हाल ही में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के एक बड़े विरोध प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अब पूरी तरह से बीजेपी के साथ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम मोदी ने जय भवानी, जय शिवाजी' के जयघोष के साथ अपना संबोधन शुरू किया.
गवर्नर कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मूर्ति का अनावरण गवर्नर द्वारा नहीं किया गया था, बल्कि यह मूर्ति कलाकार और भारतीय संग्रहालय द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी. इसके बावजूद, इस घटना ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी मूर्ति कैसे लगा सकता है.