रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी जन-जागरण यात्रा में दिखीं नूपुर शर्मा, सख्त सुरक्षा में हुआ कार्यक्रम
AajTak
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले देशभर में अलग-अलग यात्राएं निकाली जा रही हैं. ऐसी ही एक यात्रा दिल्ली में निकाली गई, जिसमें बीजेपी से निष्कासित प्रवक्ता नूपुर शर्मा सार्वजनिक रूप से दिखाई दी हैं.
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है. इससे पहले देश के कई इलाकों में हिंदूवादी संगठन अलग-अलग यात्राएं निकाल रहे हैं. ऐसी ही एक यात्रा दिल्ली में निकाली गई, जिसमें बीजेपी से निष्कासित प्रवक्ता नूपुर शर्मा सार्वजनिक रूप से दिखाई दी हैं.
हालांकि ये पहला मौका नहीं है, जबकि नूपुर दिखाई दी हों. इससे पहले नूपुर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द वैक्सीन वॉर' देखने के लिए गईं थीं. इसके अलावा नूपुर एक बार विकास पाण्डेय के साथ नजर आई थीं. विकास ने 2022 में नूपुर के साथ एक फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि उन्होंने अपनी साहसी दोस्त और बहन पर बहुत गर्व है. विकास पांडेय एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और सोशल मीडिया पर आई सपोर्ट नमो नाम का एक पेज चलाते हैं.
नूपुर ने पैगंबर पर की टिप्पणी
नूपुर ने जून, 2022 में पैगंबर मोहम्मद पर एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद देशभर में काफी बवाल हुआ. यही नहीं मुस्लिम देशों के संगठन ने भी भारत के सामने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद बीजेपी ने नूपुर को प्रवक्ता के पद से हटा दिया था.
NCP के प्रवक्ता महेश चव्हाण ने हाल ही में EVM पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति EVM पर संदेह नहीं कर रहा है, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष से चर्चा करते हुए EVM के हैक होने की संभावना को लेकर भी बातें कीं. आशुतोष ने इस संबंध में महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए. EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर इस चर्चा से राजनीतिक गलियारों में नई हलचल देखने को मिल रही है.
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी. याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी ,अल्पसंख्यक मामलात व एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी , वरना एकनाथ शिंदे यूं ही नहीं छोड़ने वाले थे महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी का मोह. जिस तरह एकनाथ शिंदे ने सीएम पद के लिए अचानक आज सरेंडर किया वह यू्ं ही नहीं है. उसके पीछे उनकी 3 राजनीतिक मजबूरियां तो स्पष्ट दिखाई देती हैं. यह अच्छा है कि समय रहते ही उन्होंने अपना भविष्य देख लिया.
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) सरकार ने कार्यालय में 45 दिन पूरे कर लिए हैं, मुख्यमंत्री, मंत्री अभी भी अपने अधिकार, विभिन्न विभागों के कामकाज के संचालन के लिए निर्णय लेने की शक्तियों से अनभिज्ञ हैं, शासन की संरचना पर स्पष्टता लाने के लिए, गृह मंत्रालय जल्द ही जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार की शक्तियों को परिभाषित करेगा.