
रामपुर उपचुनाव: आजम खान के दो करीबियों में सीधी लड़ाई, मुस्लिम वोटों में सेंध लगी तभी खिलेगा कमल
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रामपुर लोकसभा सीट पर सपा से आसिम राजा मैदान में है तो बीजेपी से घनश्याम लोधी किस्मत आजमा रहे हैं. लोधी कभी आजम खान के करीबी रहे हैं तो आसिम राजा अभी साथ हैं. ऐसे में रामपुर की चुनावी लड़ाई आजम के दो करीबी नेताओं के बीच है, लेकिन यहां की जीत का आधार मुस्लिम मतदाता तय करते हैं. ऐसे में बीजेपी की जीत का दारोमदार मुस्लिम मतों पर टिका है.
उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव का बिगुल बज चुका है, जहां पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. बीजेपी से घनश्याम सिंह लोधी किस्मत आजमा रहे हैं तो सपा से आसिम राजा चुनावी मैदान में उतरे हैं. बीजेपी से चुनाव लड़ रहे लोधी कभी आजम खान के करीबी थे तो आसिम राजा साये की तरह उनके साथ रहते हैं.
रामपुर उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस के मैदान में ना उतरने से मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच सिमट गया है. यहां पर आजम के दो करीबी नेताओं के बीच सीधी लड़ाई है. ऐसे में मुस्लिम वोटों में सेंधमारी के बिना रामपुर में बीजेपी का 'कमल' खिलना मुश्किल है?
रामपुर की सियासत के आजम किंगमेकर
रामपुर की सियासत पर भले ही एक दौर में 'नवाब परिवार' का कब्जा रहा हो, लेकिन अब यह आजम खान के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से आजम खान ने बड़ी जीत दर्ज की थी. यूपी चुनाव 2022 के बाद जब उन्होंने इस सीट को खाली किया तो माना गया कि वे अपने परिवार के किसी सदस्य को इस सीट से उम्मीदवार बनाएंगे, लेकिन आखिरी समय में अपने करीबी आसिम राजा को प्रत्याशी घोषित कर दिया जबकि बीजेपी ने घनश्याम सिंह लोधी पर दांव लगाया, जो कभी आजम के करीबी नेता माने जाते थे.
घनश्याम लोधी कभी आजम के राइट हैंड थे
घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी सियासी पारी बीजेपी के साथ शुरू की थी, लेकिन बसपा और कल्याण सिंह पार्टी में होते हुए 2011 में सपा का दामन थामकर आजम खान के करीबी बन गए. आजम खान के सबसे चेहते में वो शामिल हो गए, लेकिन इसका एहसास 2016 में सिर्फ रामपुर ही नहीं बल्कि पूरी यूपी ने तब देखा जब घनश्याम लोधी को स्थानीय निकाय से विधान परिषद भेजने के लिए आजम ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी.

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