
रामनवमी हिंसा: राम के कंधे पर सवार होकर भाजपा की हिंसक राजनीति पूरे देश में पहुंच गई है
The Wire
एक तरफ़ रामनवमी में मस्जिदों के सामने हिंसा, दूसरी तरफ़ रमज़ान में मुस्लिमों को उनके घरों, मोहल्लों में सामूहिक नमाज़ से रोकना. यह हिंदू समाज में बैठी हीनता ग्रंथि का नतीजा है. उनका धर्म उन्हें शांति नहीं दे पा रहा. इसकी जगह वे मुसलमानों, ईसाइयों पर हमले में आनंद प्राप्त कर रहे हैं, वही उनका धार्मिक
बंगाल के हावड़ा के शिबपुर में रामनवमी के दूसरे रोज़ भी हिंसा जारी रही. कुछ अख़बारों ने इसे पहले पृष्ठ की पहली खबर बनाया है. जिन अख़बारों ने इस हिंसा को इतना असाधारण माना कि अपनी पहली खबर बनाया, उन्होंने ठीक एक रोज़ पहले पूरे भारत में रामनवमी के रोज़ हुई हिंसा की घटनाओं को इतना गंभीर नहीं माना कि पहले पृष्ठ पर उन्हें जगह दे जाए.
जबकि रामनवमी के रोज़ एक बार फिर पूरे भारत से मुसलमानों पर हिंसा की खबरें मिली थीं. क्या मान लिया गया है कि रामनवमी के दिन तो हिंसा होगी ही? एक रोज़ बाद क्यों हो रही है, क्या यह आश्चर्य की बात है और इसलिए खबर है?
रामनवमी के दिन मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा को अभी भी खबर होना चाहिए. कुछ लोग कहेंगे कि यह वक्तव्य एकतरफ़ा है. लेकिन पहला सच यही है. इस हिंसा में कुछ हिंदू भी घायल हुए होंगे लेकिन हम जानते हैं कि कई बार आग लगाने वालों के अपने हाथ भी जलते हैं.
गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश ,जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, झारखंड, बंगाल से एक ही तरह की तस्वीरें और वीडियो मिले हैं जिनमें रामनवमी के जुलूस में शामिल हिंदू लाठियों, हॉकी स्टिक, तलवारों, बंदूकों के साथ मुसलमान बहुल मोहल्लों, गलियों में घुसकर मुसलमानों को अपमानित करने वाले नारे लगा रहे हैं, मस्जिदों ,दरगाहों पर चढ़कर भगवा झंडे लहरा रहे हैं और वहां तोड़फोड़ कर रहे हैं.