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राजा से लेकर नेता तक- अकाल तख्त क्यों सुना पाता है सबको सजा, किन गलतियों पर घिरे सुखबीर बादल?
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पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने आज से अगले दो दिनों के लिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेवा शुरू कर दी. साथ में उनके गले में तनखैया यानी दोषी होने की तख्ती लटकी हुई थी. धार्मिक कदाचार के लिए अकाल तख्त ने उन्हें ये सजा दी है. इससे पहले कई नेताओं समेत महाराजा रणजीत सिंह को भी अकाल तख्त सजा दे चुका है.
सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को तनखैया करार देते हुए उन्हें शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दिया, साथ ही गलतियों के प्रायश्चित्त के लिए उन्हें स्वर्ण मंदिर में टॉयलेट की सफाई की सजा दी. हालांकि हाल ही में बादल लगी चोट को ध्यान में रखते हुए सजा में बदलाव किया गया. इसके तहत वे दो दिनों के लिए मंदिर के एंट्री गेट पर सेवादार रहेंगे. जानें, क्या है तनखैया, और धार्मिक संस्था अकाली दल के पास कितनी शक्ति है, जो वो नेताओं को सजा सुना पाता है.
बादल को क्यों मिली सजा
लगभग चार महीने पहले अकाल तख्त ने बड़ा फैसला लेते हुए सीएम सुखबीर सिंह बादल को तनखैया करार दे दिया. ये फैसला बादल के उन तथाकथित धार्मिक भूलों के लिए लिया गया जो उन्होंने पद में रहने के दौरान किए थे. फैसला पांच तख्तों के सिंह साहिबान की बैठक के बाद मिलकर लिया गया था.
साल 2007 से अगले 10 सालों के लिए पंजाब के डिप्टी सीएम रहते हुए बादल के कई कामों को धार्मिक तौर पर गलत माना गया. जैसे डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के लिए नरम रुख रखना, कथित तौर पर अकाल तख्त को सुमेध सिंह सैनी को साल 2012 में पंजाब पुलिस महानिदेशक बनाने के लिए राजी करना और बरगड़ी में सिख युवाओं की हत्या और पीड़ितों को न्याय प्रदान करने में ढिलाई देना शामिल है.
क्या-क्या शामिल सजा में
तनखैया के तौर पर उन्हें दो दिनों तक अमृतसर के गोल्डन टेंपल में सेवा करनी होगी, जिस दौरान उनके गले में दोषी की तख्ती भी लटकी होगी. द प्रिंट की रिपोर्ट की मानें तो इसके बाद उन्हें पंजाब के कुछ और गुरुद्वारों में भी यही दोहराना है, जिसमें केशगढ़ साहिब और फतेहगढ़ साहिब शामिल हैं. बादल ने आज से अगले दो दिनों के लिए प्रायश्चित्त की शुरुआत भी कर दी. साथ ही पार्टी के सामने अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे की भी पेशकश की.
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