
राजस्थान: 22 साल की विप्रा गोयल ने कोरोना से 'लड़ने' के लिए डिजाइन किया App
NDTV India
22 साल के विप्रा गोयल ने जब देखा कि महामारी इतने खतरनाक तरीके से फैल रही है तो उन्होंने कुछ करने की अपने मन में ठान ली.विप्रा ने एक ऐसे App का आविष्कार किया जिससे कुछ हद तक इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है.
कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण शहरों से गांव की तरफ बहुत तेज़ी से फैला. राजस्थान के कुल कोरोना केसों में से 40% गांव में थे और ग्राम़ीण इलाकोंमें मौतें (53%) भ़ी बहुत ज़्यादा हुईं. चिकित्सा व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौत़ी थ़ी- कोरोना के मामलों में केसों को चयनित करना, खासकर ग्राम़ीणइलाकों में क्योंकि वहां लोग अपऩी ब़ीमारी बताने से डरते थे. उन्हें इस बात का डर था कि अगर उनमें कोरोना के लक्षण मिले तो उन्हें शहर ले जाकरअस्पताल में भर्ती करा दिया जाएगा और परिवार से नहीं मिलने देंगे. इस मानसिकता के कारण ग्राम़ीण इलाकों में कोरोना की अंडर रिपोर्टिंग हुई जिसकीवजह से महामारी के और फैलने की आशंका बऩी रही, लेकिन 22 साल के विप्रा गोयल ने जब देखा कि महामारी इतने खतरनाक तरीके से फैल रही है तोउन्होंने कुछ करने की अपने मन में ठान ली.विप्रा ने एक ऐसे App का आविष्कार किया जिससे कुछ हद तक इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है. कोरोना कवच साथ़ी एक ऐसा मोबाइल App है कि इसके जरिये कोविड की पहचान हो सकती है. लेकिन ये काम केवल कोरोना की पहचान करने तक सीमित नहीं रहे, विप्रा ने कोरोना कवच साथी की टीमें बनाई जिन्होंने घर-घर जाकर लोगों का सर्वे किया, ये जांचा कि कितने लोगों को कोरोना के लक्षण हैं और फिर उन तक दवाएं पहुंचाई गईं. अगर इलाज के बावजूद लोग स्वस्थ नहीं हुए तो वालेंटियर्स ने App से लोगों को चिन्हित करके RTPCR टेस्ट भ़ी करवाए.More Related News