राजद्रोह क़ानून को हटाने का कोई प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं: केंद्र
The Wire
लोकसभा में केंद्र सरकार से सवाल किया गया था कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून को औपनिवेशिक क़रार दिया है और इसकी वैधता पर सरकार से जवाब मांगा है. इसके जवाब में केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है. हालांकि बीते जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून पर चिंता जताते हुए सरकार से पूछा था कि आज़ादी के 75 साल बाद इसे बनाए रखना ज़रूरी क्यों है.
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि धारा 124ए से संबंधित ‘कानून का सवाल’ उच्चतम न्यायालय के पास लंबित है.
रिजिजू ने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने सूचित किया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को हटाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.’
एआईयूडीएफ के नेता बदरुद्दीन अमजल ने सवाल किया था कि क्या उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? क्या न्यायालय ने सरकार से इस कानून की जरूरत और वैधता को लेकर सरकार से जवाब मांगा है?
इसके जवाब में विधि मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है.’