राजघाट में जमा बाढ़ का पानी निकालना बड़ी चुनौती, कई दिनों तक नहीं पहुंच सकेंगे पर्यटक
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राजघाट के अंदर चारों तरफ पानी जमा होने से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है. बाढ़ का पानी निकालने के लिए जनरेटर के साथ ही 500 मीटर तक की लंबी पाइपलाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो राजघाट से दूर सड़क किनारे मौजूद ड्रेनेज सिस्टम में पानी पहुंचा रही है.
देश की राजधानी दिल्ली के कई इलाके पिछले दिनों बाढ़ के पानी में डूब गए थे. ये सैलाब राजघाट तक आ पहुंचा था. यमुना नदी का जलस्तर भले ही कम हो गया है, लेकिन राजघाट के 250 एकड़ इलाके में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है, अब इसे निकालना बड़ी चुनौती बना हुआ है. राजघाट के अंदर ड्रेनेज सिस्टम ना होने की वजह से पानी निकालने के लिए बड़े-बड़े जनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक राजघाट को टूरिस्ट और नेताओं के लिए खोलने में अभी लंबा वक्त लगेगा.
वहीं, राजघाट के अंदर चारों तरफ पानी जमा होने से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है. बाढ़ का पानी निकालने के लिए जनरेटर के साथ ही 500 मीटर तक की लंबी पाइपलाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो राजघाट से दूर सड़क किनारे मौजूद ड्रेनेज सिस्टम में पानी पहुंचा रही है. साथ ही राजघाट के आसपास कुछ ट्रैक्टर भी लगाए गए हैं, जो कि बाढ़ का पानी खींचने वाले जनरेटर को चलाने में मदद कर रहे हैं. राजघाट से किसान घाट की तरफ जाने वाले रास्ते को फ़िलहाल बंद किया गया और अंदर जमा पानी को बाहर फेंकने वाली पाइपलाइन को बिछाने के लिए सड़क खोदी गई है. राजघाट के साथ-साथ राजघाट के ठीक सामने मौजूद पार्क में भी बाढ़ का पानी जमा हुआ है.
वहीं दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने कहा कि अगले 24 घंटों में पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि राजघाट से बाढ़ का पानी निकालने के लिए मिशन मोड पर काम चल रहा है. बाढ़ग्रस्त राजघाट से बाढ़ के पानी की निकासी मिशन मोड में जारी है. बाढ़ गंभीर है और भारत के गौरव के इस राष्ट्रीय स्थान को बहाल करने के लिए सभी हाथ खड़े हैं. इसके साथ ही उन्होंने राजघाट पहुंचकर हालात का जायजा लिया था.
उपराज्यपाल ने कहा कि राजघाट पर भारी मात्रा में पानी जमा हो गया है और इसमें से अधिकांश पानी को बाहर निकाल दिया गया है, साथ ही कहा कि शेष काम अगले 24 घंटों में पूरा किया जाना चाहिए. साथ ही कहा कि नाले के बैकफ्लो के कारण पूरा राजघाट क्षेत्र जलमग्न हो गया है. इससे यमुना का बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ने लगा और यहां तक कि स्मारक परिसर में भी घुस गया.
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