योगी आदित्यनाथ, अखिलेश और आजम खान... 24 घंटे में तीन इस्तीफे, जानिए क्या है वजह
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योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिया. वे 8 सितंबर 2017 से एमएलसी थे. वहीं, अखिलेश यादव और आजम खान ने मंगलवार को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया. अखिलेश आजमगढ़ और आजम खान रामपुर से सांसद थे.
उत्तर प्रदेश में 25 मार्च को योगी सरकार का शपथ ग्रहण होना है. लेकिन इससे पहले सोमवार से मंगलवार के बीच 24 घंटे में तीन बड़े इस्तीफे हुए. ये इस्तीफे योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव और आजम खान के हुए. योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिया. वहीं, अखिलेश यादव और आजम खान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया. आईए जानते हैं कि इन इस्तीफों की क्या वजह है?
योगी आदित्यनाथ ने एमएलसी पद से दिया इस्तीफा
उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार शाम को विधान परिषद (MLC) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. वे इस बार गोरखपुर शहरी सीट से विधायक चुने गए हैं. दरअसल, 2017 विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया था. वे तब गोरखपुर से सांसद थे. ऐसे में उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था और 8 सितंबर 2017 को निर्विरोध विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे. उन्होंने एमएलसी रहते हुए ही सीएम पद का कार्यकाल पूरा किया.
हालांकि, इस बार बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाने का फैसला किया. योगी गोरखपुर शहरी सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे. योगी ने इस सीट से सपा की सुभावती शुक्ला को 1 लाख से ज्यादा वोट से हराया. ऐसे में वे अब विधायक हैं और उन्होंने एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया.
अखिलेश यादव ने लोकसभा से दिया इस्तीफा
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार विधानसभा चुनाव में करहल सीट से मैदान में उतरे थे. उन्होंने इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को मात दी. हालांकि, अखिलेश यादव आजमगढ़ से मौजूदा सांसद थे. ऐसे में उन्हें एक सदन से इस्तीफा देना था. लोकसभा में सपा की 5 सीटें हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि वे करहल सीट से इस्तीफा दे देंगे और लोकसभा के सदस्य बने रहेंगे. लेकिन अखिलेश यादव ने लोकसभा से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है. जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव 2027 के विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रहे हैं. ऐसे में वे विधायक रहकर राज्य की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. ताकि मौका मिलने पर वे योगी सरकार को घेर सकें और मजबूत विपक्ष के तौर पर पार्टी का नेतृत्व कर सकें.
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