यूरोप का वो शहर, जहां 10 हजार से ज्यादा इंसान मिनटों में कांच में बदल गए, ज्वालामुखी ने मचाई ऐसी तबाही
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लावा इतनी तेजी से गुजरा कि नाचते हुए लोगों का खून उबलकर जम गया. स्नानागार में नहाते लोग उसी हालत में मर गए. लगभग 19 सौ साल बाद जब शहर मिला तो हर कोई हैरान था. ज्वालामुखी का फटना तो राख बना देता है, लोग कांच कैसे बन गए? 1000 डिग्री फैरनहाइट से भी ज्यादा गर्मी से गुजरे लोग लंबे समय तक पहेली रहे.
अमेरिका के हवाई द्वीप पर दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी मौउना लोआ हाल में फट पड़ा. विस्फोट के कई दिनों बाद भी लावा बह रहा है. आसपास आबादी न होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता. आज से लगभग 19 सौ साल पहले इटली में फटे ज्लावामुखी ने एक पूरे शहर को खत्म कर दिया. हंसते-खेलते, बात करते, घर के काम करते, और बाजार में खरीददारी करते लोगों पर से लावा गुजरा और जो जहां था, वहीं खत्म हो गया. बस, एक बात अलग थी. लोग राख नहीं बने, बल्कि कांच की मूर्तियों जैसे दिखने लगे.
विज्ञान की जबान में कहें तो विट्रिफिकेशन. लेकिन विज्ञान छोड़कर पहले हम 79 ईंसवी के पोम्पई शहर चलते हैं.
बेहद विकसित हुआ करता था शहर दक्षिणी इटली का ये शहर तब काफी शानदार हुआ करता था. शानदार इसलिए कि वहां बड़े बाजार थे, जहां सबकुछ मिलता. बाल बनवाने की दुकानें भी थीं, और रेस्त्रां की तर्ज पर खाने के ठिये भी. यहां तक कि टूरिस्ट्स के लिए कॉमन स्पा भी होता. बता दें कि पोम्पई तब इटली के सबसे खूबसूरत शहरों में था, जहां हर मौसम सैलानी रहते.
बस, एक दिक्कत थी. शहर नेपल्स की खाड़ी में बसा था, जिसके बिल्कुल पास एक एक्टिव ज्वालामुखी था. माउंट वेसविअस ज्वालामुखी अब तक 50 से ज्यादा बार फट चुका है. आमतौर पर ये उतना खतरनाक नहीं होता, लेकिन 19 सौ साल पहले इसने पोम्पई को खत्म कर दिया.
ऐसे उठा लावे का गुबार लगभग 10 हजार की आबादी वाले पोम्पई में तब दिन का समय रहा होगा, ये अनुमान वैज्ञानिकों ने वहां जमकर मरे हुए लोगों की एक्टिविटी देखते हुए लगाया. जमीन एकदम से कांपती लगी. मछलियां-मांस खरीद रहे लोग, और मुसाफिर डर से भागने लगे. माउंट वेसविअस फट पड़ा था. हवा में लगभग 20 मील दूर तक जहर और धुआं ही धुआं भर गया. बच्चे-बूढ़े दम घुटने से मरे. लेकिन रातोंरात ही कुछ और बदला. तेजी से बहते लावा ने 10 हजार की आबादी वाले पूरे शहर को लील लिया.
प्राचीन रोमन लेखक प्लिनी द यंगर ने सैकड़ों मील दूर से धूल का गुबार देखा और मान लिया कि दूर कहीं दुनिया खत्म होने की शुरुआत हो चुकी है. उनकी चिट्ठियों में इस बात का खूब जिक्र मिल चुका है.
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