यूपी में अखिलेश को फ्री हैंड रणनीति या मजबूरी? क्या कांग्रेस ने हरियाणा की हार से सबक ले लिया है
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यूपी उपचुनाव में कांग्रेस ने सपा के लिए मैदान छोड़ दिया है. अखिलेश यादव को फ्री हैंड देने के पीछे कांग्रेस की रणनीति है या मजबूरी? क्या कांग्रेस ने हरियाणा की हार से सबक ले लिया है? जानिए.
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. इन सीटों को लेकर विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन में खींचतान चल रही थी. कांग्रेस ने पांच सीटों पर दावेदारी की थी वहीं सपा ने उसे दो सीटें ही ऑफर की थीं- गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट. ऐसा कहा जा रहा था कि कांग्रेस इन दो सीटों पर चुनाव लड़ने से इनकार कर सकती है और ऐसा ही हुआ.
ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने यूपी में अखिलेश यादव को फ्री हैंड दे दिया है. सपा प्रमुख ने खुद एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी कि सभी नौ सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार सपा के सिंबल पर लड़ेंगे. सवाल है कि यूपी उपचुनाव में पांच सीटों की डिमांड पर अड़ी रही कांग्रेस ने अंतिम क्षणों में अखिलेश को फ्री हैंड देने का फैसला क्यों किया? इसके पीछे वजह हरियाणा की हार का सबक ही है या कुछ और भी है? इसे चार पॉइंट में समझ सकते हैं.
1- हरियाणा का डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश
हरियाणा चुनाव से पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की पहल की थी. हालांकि, गठबंधन आकार नहीं ले सका. बातचीत तो सपा के साथ भी चली लेकिन कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं छोड़ी. हरियाणा में कांग्रेस की हार के बाद सहयोगी दलों के नेताओं ने भी उसे आईना दिखाना शुरू कर दिया था. शिवसेना यूबीटी ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाए थे तो वहीं अखिलेश यादव ने हरियाणा में कांग्रेस की हार को सबके लिए सबक बताया था.
हरियाणा में जिस तरह से कांग्रेस नेतृत्व की पहल के बावजूद राज्य इकाई ने आम आदमी पार्टी और सपा को दरकिनार किया, उसे लेकर सहयोगियों में नाराजगी थी. अब कांग्रेस का यूपी में अखिलेश यादव को फ्री हैंड देने के पीछे एक वजह हरियाणा की तरह एंटी बीजेपी वोट का बंटवारा न हो, ये भी है. एक वजह कम से कम तब नरमी बरत सहयोगियों को साधे रखने की रणनीति भी है, जब हरियाणा में उपेक्षा के जख्म हरे हैं.
2- 2027 चुनाव पर नजर
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