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यूपी: बढ़ती मंहगाई के बीच अपनी कला बचाने को संघर्षरत हैं ब्लैक पॉटरी के कारीगर
The Wire
आज़मगढ़ ज़िले के निज़ामाबाद विधानसभा क्षेत्र के कुम्हारों के बनाए नक्काशीदार काले बर्तन अपनी शानदार कारीगरी के लिए मशहूर हैं. हालांकि महंगे होते जा रहे संसाधनों और जनप्रतिनिधियों की बेरुख़ी के बीच यहां के कारीगर आजीविका कमाने के साथ-साथ इस कला को ज़िंदा रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
आजमगढ़: पूर्वांचल में सपा की राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में अंतिम चरण 7 मार्च को वोटिंग होनी है. पिछली बार भाजपा की प्रचंड लहर में भी यहां की 10 विधानसभा सीटों में से भाजपा को केवल एक सीट मिल पाई थी और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी.
इस जिले की विधानसभा सीट निजामाबाद के कुम्हारों के बनाए नक्काशीदार काले बर्तन पूरी दुनिया में अपनी शानदार कारीगरी के लिए मशहूर हैं.
वर्तमान सरकार ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) और जियो टैग निजामाबाद के इन्हीं बर्तनों को मिला है. इन सबके बावजूद निजामाबाद बाजार में बसे करीब 200 परिवारों की बस्ती अपनी इस कला को जीवित रखने और आजीविका चलाए रखने के संघर्ष से जूझ रही है.
मुगल सम्राट औरंगजेब के समय निजामाबाद के काजी खानदान का उदय हुआ. लेखक प्रताप गोपेंद्र यादव ‘इतिहास के आईने में आजमगढ़’ नामक किताब में बताते हैं कि सन 1696 से 97 के बीच अब्दुल फराह गुजरात व सरखेज के काजी बने.