यूपी चुनाव: क्या भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए बसपा चुनावी मैदान से नदारद है
The Wire
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार में जहां भाजपा, सपा-रालोद और कांग्रेस पूरी शिद्दत से लगे हैं, वहीं बसपा सुर्ख़ियों से ग़ायब-सी है. ऐसे में राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि वह भाजपा के इशारे पर काम कर रही है अथवा बसपा सुप्रीमो मायावती उनके ख़िलाफ़ चल रहे मामलों के मद्देनज़र सरकारी एजेंसियों के दबाव में चुप हैं.
नई दिल्ली: ‘हमारी पार्टी गरीबों और मजलूमों की पार्टी है, दूसरी पार्टियों की तरह धन्ना सेठों और पूंजीपतियों की पार्टी नहीं है. इसलिए मेरे लोग जनसभाओं और रैलियों के लिए ज्यादा आर्थिक बोझ नहीं उठा पाएंगे. बसपा की कार्यशैली और चुनाव को लेकर तौर-तरीके अलग हैं और हम किसी दूसरी पार्टी की नकल नहीं करते. यदि हम दूसरों की नकल करेंगे तो इससे फिर पार्टी को धन के अभाव में चुनाव में काफी कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है.’
उक्त शब्द बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के हैं, जो उन्होंने कुछ हफ्तों पहले तब कहे जब उन पर और उनकी पार्टी पर उत्तर प्रदेश (यूपी) के आगामी विधानसभा चुनावों में असक्रिय रहने संबंधी आरोप लगे.
अपनी सफाई में मायावती ने साथ ही कहा, ‘कांग्रेस-भाजपा जैसे दल सत्ता में होने पर चुनाव घोषित होने से पहले खूब ताबड़तोड़ घोषणाएं, शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण आदि करते हैं जिनकी आड़ में आम जनता के सरकारी पैसे से खूब जनसभाएं होती हैं, पार्टी के पैसे से नहीं.’
इन शब्दों या घटना की पृष्ठभूमि में जाते हुए यदि यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों को देखें तो फिलहाल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) को मुकाबले में माना जा रहा है.