यूपी: क्यों मोदी-योगी के ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ के ख़िलाफ़ दो महीने से आंदोलनरत हैं ग्रामीण
The Wire
2017 यूपी विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़मगढ़ में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की घोषणा की थी, जिसे अमली जामा पहनाने की शुरुआत करते हुए बीते अक्टूबर में ज़िला प्रशासन ने ज़मीनों का माप आदि लेना शुरू किया. अधिग्रहण के क्षेत्र में आने वाले आठ गांवों के लोग इसके विरोध में हैं. उनका कहना है कि ज़मीन लेने के लिए उनसे सहमति नहीं ली गई है.
सन 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़मगढ़ में अपने एक ‘ड्रीम प्रोजेक्ट की घोषणा की-एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थापित करने की घोषणा. चुनाव जीतने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मोदी के सपने को पूरा करने की दिशा में कदम उठाते हुए आजमगढ़ से फैजाबाद की दिशा में स्थित ‘मंदुरी हवाई पट्टी’ को न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा में विस्तारित करने की घोषणा कर दी, बल्कि 2018 में इसका शिलान्यास भी कर दिया.
2022 के मध्य से ही जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने मोदी और योगी के सपनों को अपनी आंख में सजाते हुए इस प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया. लेकिन जब 13 अक्टूबर को बगैर किसी पूर्व सूचना के प्रशासनिक महकमा भारी पुलिस फोर्स के साथ गांवों में सर्वे के लिए पहुंच गया, तो प्रभावित आठ गांवों के लोगों ने मोदी-योगी और उनके प्रशासनिक अमले के ‘ड्रीम’ को अपनाने से इनकार कर दिया.
ग्रामीणों ने अपना सपना उनके ‘ड्रीम’ के सामने खड़ा कर दिया, जिसके कारण वे पीटे गए. दमन और अधिग्रहण के विरोध में आठों गांवों के लोगों ने ‘खिरिया के बाग’ में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ धरने की शुरूआत कर दी. बस इसी दिन से आजमगढ़ का नाम फिर से सुर्खियों में आ गया.
14 अक्टूबर से लगातार चलने वाले इस धरने में महिलाओं की भागीदारी और भूमिका देखकर लगता है कि ‘खिरिया का बाग’ नया ‘शाहीनबाग’ बनने की ओर अग्रसर है. शाहीन बाग और किसान आंदोलन दोनों की प्रेरणा इस धरने पर दिए जाने वाले भाषणों में साफ झलकती है.