यूपी की तरह इन चार राज्यों में भी ओबीसी आरक्षण पर फंस गया था पेच, जानिए कैसे निकला समाधान
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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर को रद्द करते हुए तुरंत चुनाव कराने का आदेश दिया है. ट्रिपल टेस्ट न कराने पर कोर्ट ने इस आरक्षण को रद्द कर दिया है. यूपी ही नहीं मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र जैसे कई और राज्य हैं, जहां भी ट्रिपल टेस्ट के कारण चुनाव फंस गया था. जानते हैं कि कैसे इन राज्यों ने इसका समाधान निकाला.
यूपी निकाय चुनाव में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए फौरन चुनाव कराने का आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकार की दलीलों को नहीं मानते हुए कहा कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा. अदालत के फैसला के बाद सूबे के निकाय चुनाव में अब ओबीसी आरक्षण पर पेच फंस गया है. ऐसे में देखना है कि यूपी की योगी सरकार निकाय चुनाव को लेकर क्या कदम उठाती है?
निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मामला यूपी में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड में भी सामने आया था. एमपी की शिवराज और बिहार की नीतीश सरकार ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के बजाए सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करते हुए आरक्षण के ट्रिपट टेस्ट के नियमों का पालन कर समाधान तलाशा था और फिर कहीं जाकर चुनाव कराए थे. ऐसे में योगी सरकार सूबे के निकाय चुनाव को लेकर क्या रास्ता अपनाती है?
HC के निर्णय के बाद नगर निकाय चुनाव पर फिलहाल संकट गहरा गया. अब राज्य सरकार क्या इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी? यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में इलाहाबाद HC के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा?
क्या है पूरा मामला
यूपी के नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर 2022 से 19 जनवरी 2023 के बीच समाप्त हो रहा है. सूबे में 760 नगरीय निकायों में चुनाव होना है. इसके लिए राज्य सरकार ने सीटों का आरक्षण भी जारी कर दिया था. प्रदेश की नगर निगमों के मेयर, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों के अध्यक्ष और पार्षदों के आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई थी. इसमें कहा गया था कि सरकार ने निकाय आरक्षण में पिछड़ों के आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट का फॉर्म्यूला लागू नहीं किया है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ने ओबीसी कोटे का आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट फॉर्म्यूला का अनुपालन नहीं किया. सरकार ने कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए. इसी सर्वे को ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट माना जाए. योगी सरकार के तर्कों को कोर्ट ने नहीं माना और बिना ओबीसी आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं.
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