यूक्रेन संकट के चलते क्या रूस, भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय साझेदारी संभव है
The Wire
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के दबाव के बीच एशिया के दो प्रतिद्वंद्वी देश- चीन और भारत अपने तमाम मतभेदों के बावजूद रूस को लेकर समान रवैया अख़्तियार किए हुए हैं.
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने रूस पर बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. हालांकि कई ऐसे देश हैं जिन्होंने तटस्थ रहना चुना. दिलचस्प बात यह है कि इस गुटनिरपेक्ष समूह में कई मतभेदों के बावजूद दो प्रतिद्वंद्वी एशियाई देश- चीन और भारत एक समान रवैया रखते हुए शामिल हैं.
नई दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंध जून 2020 में उनकी सेनाओं के बीच सीमा संघर्ष के बाद से तनावपूर्ण हो गए हैं, जिसमें 20 भारतीय सैनिक और कम से कम 38 चीनी सेना (पीएलए) के सैनिक मारे गए थे. उनकी सीमा पर झड़पों का उनके समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव पड़ा.
भारत ने चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसकर और टिकटॉक जैसे ऐप पर प्रतिबंध लगाकर प्रतिक्रिया दी है. उनके पाकिस्तान के साथ संबंधों पर मतभेद हैं, जिसके साथ चीन के व्यापक संबंध हैं और क्वाड ग्रुपिंग की भूमिका है, जिसे भारत ने कथित तौर पर हिंद-प्रशांत में चीन को असंतुलित करने के लिए शामिल किया है.
हाल ही में चीन द्वारा गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से लड़ने वाले सैनिक को बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के अग्रदूत बनाने के बाद, भारत ने खेलों के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की. भारत ने चीन की क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को भी खारिज कर दिया है. लेकिन यूक्रेन संकट पर दोनों राष्ट्र एक ही पृष्ठ पर हैं.