'यहां लोग या तो मर गए या लापता हैं...' एक तबाही ने कैसे इस देश में मचाया कोहराम?
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इस देश में रात के वक्त ऐसी तबाही आई, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. लोग अपने घरों में सो रहे थे, तभी पल भर में उनका सब कुछ तबाह हो गया. उन्होंने अपने घरों और अपनों को खो दिया.
आम दिनों के मुकाबले इस देश में भी सब ठीक चल रहा था. लोग रोज की तरह अपने कार्यों में व्यस्त थे. लेकिन फिर रात के वक्त वो हो गया, जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. बस कुछ ही पल में इनकी दुनिया इनके सामने बिखर गई. यहां हम उत्तरी अफ्रीकी देश मोरक्को की बात कर रहे हैं. जहां आए भीषण भूकंप में हजारों लोगों की मौत हो गई. लोग अब भी अपनों की तलाश कर रहे हैं. तफेघाघटे नामक गांव के एक शख्स ने भूंकप से आई इस तबाही के बारे में बताया.
उसने कहा कि इस गांव के लोग या तो अस्पताल में हैं या मर गए हैं. इस देश में मार्राकेश शहर में 6.8 की तीव्रता का भूकंप आया था. जिसके कारण 2100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इतनी ही संख्या में लोग घायल हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बनी हुई है. जबकि बड़ी संख्या में लोग लापता भी हैं. उन्हें मलबा हटाकर तलाशा जा रहा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस जगह रहने वाले 200 निवासियों में से 90 को मृत घोषित कर दिया गया है और कई अन्य लापता हैं.
मलबे में दबकर हुई लोगों की मौत
यहां रहने वाले हसन नाम के शख्स ने बताया, 'इन लोगों को बचकर निकलने का मौका नहीं मिला था. इनके पास खुद को बचाने का वक्त नहीं था.' खुद घर के मलबे से बाहर निकले इस शख्स ने कहा कि उसका एक रिश्तेदार मलबे में अब भी दबा है और उसे बाहर निकाल पाने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही. उसने कहा कि लोग ही एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. सरकार की मदद की जरूरत है. वो लोगों की मदद के लिए काफी देरी से काम कर रही है. उसने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली सारी मदद स्वीकार कर लेनी चाहिए.
अब्दू रहमान नामक के एक अन्य शख्स ने इस भूकंप में अपनी पत्नी और तीन बेटों को खो दिया. उसका घर अब मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है. अंदर सामान दबा है और सब कुछ खत्म हो गया. उसने कहा कि जब भूकंप आया, तब वो 3 किलोमीटर दूर एक पेट्रोल स्टेशन पर था, जहां वो काम करता है. फिर भागता हुआ अपने घर आया. बच्चों को बाहर आने के लिए बोल रहा था लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया. तीनों बेटे भूकंप के वक्त सो रहे थे. कई अन्य परिवारों का भी यही हाल है. वो एक दूसरे को दिलासा देने की कोशिश कर रहे हैं.
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