'यमुना को 45 दिनों तक साफ करें,' दिल्ली HC का झगड़े के केस में अनूठा फैसला
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दिल्ली हाई कोर्ट में ममता देवी और अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी. हाई कोर्ट ने आपसी झगड़े को रद्द करने के पहले उन्हें 45 दिनों तक दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों की निगरानी में यमुना साफ करने का फरमान सुनाया.
दिल्ली हाईकोर्ट ने आपसी झगड़े के मामले का अनूठे तौर पर निपटारा किया है. हाईकोर्ट में जस्टिस जसमीत सिंह ने झगड़ा फसाद करने वाले दो पक्षकारों को 45 दिनों तक यमुना नदी साफ करने की हिदायत दी है. उसके बाद आपसी समझौते को मान्यता दी.
कोर्ट ने आरोपी और शिकायतकर्ता को कहा है कि इस आदेश के 10 दिनों के भीतर दिल्ली जल बोर्ड टीम के सदस्य (ड्रेनेज) अजय गुप्ता से मिलें. गुप्ता की सलाह और उनकी निगरानी में दोनों पक्ष के लोगों को 45 दिन तक यमुना नदी की सफाई करनी होगी. हाईकोर्ट ने कहा है कि सफाई कार्य से संतुष्ट होने के बाद जल बोर्ड आरोपियों और शिकायतकर्ताओं को यमुना सफाई का प्रमाण पत्र जारी करेगा.
प्रमाण पत्र मिलने के एक सप्ताह के भीतर इसे अदालत के रिकॉर्ड में भी पेश करना होगा. यानी दो महीने के भीतर ये प्रक्रिया पूरी करनी होगी. हाई कोर्ट ने कहा कि यमुना नदी की सफाई करने के बाद अवगत कराना होगा. इस शर्त को पूरा करने के वादे के बाद हाई कोर्ट ने जैतपुर थाना में फरवरी 2022 में मारपीट, लड़ाई-झगड़ा, छेड़छाड़ और अन्य आरोपों में दर्ज एफआईआर खारिज करने का आदेश दे दिया.
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में ममता देवी और अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी. हाई कोर्ट ने आपसी झगड़े को रद्द करने के पहले उन्हें 45 दिनों तक दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों की निगरानी में यमुना साफ करने का फरमान सुनाया. मुकदमे के मुताबिक कुछ दिनों पहले दिल्ली में दो पड़ोसियों के बीच बच्चों को लेकर झगड़ों हो गया था. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हमला किया. हाथापाई हुई और कुछ लोगों को चोटें भी आईं. मामला कोर्ट पहुंचा. अदालत में दोनों पक्षकार ठंडे दिमाग से समझौते पर राजी हुए.
लेकिन इससे पहले जैतपुर पुलिस ने ममता देवी और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. हाई कोर्ट में पक्षकारों ने कहा कि उनके बीच मामले का समझौता हो गया है. ऐसे में दर्ज मुकदमे को खारिज कर दिया जाए. दोनों पक्षों ने कोर्ट में कहा कि उन्हें इस विवाद को तूल देने के लिए काफी पछतावा है.
जस्टिस जसमीत सिंह की अदालत में जब यह पाया गया कि दोनों पक्ष में को आईं चोटें भी सामान्य किस्म की थीं और दोनों ही पक्ष एफआईआर रद्द कराने के लिए राजी हैं. क्योंकि दोनों में समझौता हो गया है. इस पर जस्टिस जसमीत सिंह ने निर्णय सुनाया कि दोनों पक्षकार को अपने किए पर पछतावा है. अगर ये पछतावा यमुना नदी की सफाई के जरिए हो तो ज्यादा बढ़िया होगा. कोर्ट ने दोनों को भविष्य में ऐसा ना करने की हिदायत भी दी.
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