
यमुना के जलस्तर ने तोड़ा 1978 का रिकॉर्ड... जानें दिल्ली में 45 साल पहले आई भयावह बाढ़ की कहानी
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1978 में यमुना का जलस्तर 207.49 मीटर पहुंचा था, तब आधी राजधानी पानी में डूब गई थी. आलम ये था कि लाखों लोग बेघर हो गए थे और सेना को मोर्चा संभालना पड़ा था. अब वर्तमान में दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 2.5 मीटर ऊपर पहुंच चुका है. बुधवार शाम 6 बजे पुराने रेलवे ब्रिज पर पानी 207.81 मीटर दर्ज हुआ. 100 साल के इतिहास में ये पहली बार है जब यमुना का जलस्तर इतना पहुंचा है.
6 सितंबर 1978. राजधानी दिल्ली के पॉश इलाकों में अचानक बाढ़ का पानी घुसने लगा. लोग घबराए और अपने-अपने घरों की तरफ दौड़े. कोई नीचे रखा अपना सामान उठाकर सुरक्षित जगहों पर रख रहा था तो कोई अपने बच्चों को घर की तरफ लेकर भाग रहा था. हर तरफ खौफ का मंजर था. घंटे दर घंटे बीत रहे थे और पानी का लेवल तेजी से बढ़ रहा था. देखते ही देखते पानी कई फीट तक बढ़ गया और शहर के तमाम इलाकों के लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर थे.
ये वो समय था जब राष्ट्रीय राजधानी में 100 वर्षों बाद इतनी भयंकर बाढ़ आई थी. आलम ये था कि शहर आपातकाल की स्थिति में था. टेलीफोन लाइनें बंद थीं. यमुना के ऊपर सभी पुल बंद कर दिए गए थे और बाढ़ग्रस्त इलाकों में सेना तैनात कर दी गई थी. बाढ़ के खतरे को देखते हुए दिल्ली के महारानी बाग, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, जामिया मिल्लिया और ओखला समेत कई इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई थी. देश की राजधानी दिल्ली से 227 किमी दूर हरियाणा का हथिनीकुंड बैराज से तब करीब 7 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया थी.
1900 के बाद राजधानी में आईं कई बाढ़
यह पहली बार नहीं था कि शहर में बाढ़ आई हो. लेकिन यह दिल्ली में आई अब तक की सबसे भीषण बाढ़ थी. उस समय नदी पुराना पुल (पुराना रेलवे पुल) पर खतरे के निशान से 2.66 मीटर ऊपर बह रही थी. स्तर 207.49-मीटर के निशान को छू गया था. 1900 के बाद दिल्ली में कई बड़ी बाढ़ आईं. 1924, 1947, 1976, 1978, 1988, 1995, 2010, 2013 में दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया. अब 2023 में पहली बार है जब यमुना में जलस्तर ने 1978 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
हजारों वर्ग किलोमीटर खरीफ फसल हुई थी बर्बाद
1978 में बाहरी दिल्ली की 40 हजार वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) से अधिक कृषि भूमि करीब दो मीटर तक पानी में डूब गई थी. बाढ़ ने खरीफ की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था. वहीं आवसीय संपत्ती से लेकर बाजारों तक को काफी नुकसान हुआ था. वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 18 लोगों की जान गई थी और नुकसान का आंकलन 10 करोड़ था. इस बाढ़ के कारण लाखों लोग बेघर हुए थे.

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