
यदि महिला को लगता है कि वह पुरुष के सहयोग के बिना कुछ नहीं, तो यह सिस्टम की नाकामी: कोर्ट
The Wire
केरल हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उस मामले पर आई है, जहां लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक महिला ने अपने साथी द्वारा संबंध ख़त्म होने पर अपने बच्चे को गोद दे दिया था. अदालत ने कहा कि वह सिंगल मदर होने के नाते ऐसा करने को विवश थी. राज्य को चाहिए कि वह सिंगल मांओं की मदद के लिए सिस्टम विकसित करे.
तिरुवनंतपुरमः केरल हाईकोर्ट ने हाल के अपने फैसले में सिंगल मांओं के प्रति समाज के नजरिए को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य सिंगल मांओं के सहयोग के लिए योजनाएं तैयार करें. जस्टिस ए. मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस डॉ. कौसर एदप्पागाथ ने कहा, ‘जिस देश में लोग देवी की पूजा करते हैं, उस देश में जहां लोगों को स्त्री के बारे में सिखाया जाता है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवताः, यत्रैतास्तु न पूज्यंते सर्वास्तत्राफलाः क्रियांः यानी जिस देश में स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों का सम्मान नहीं होता, वहां किए गए सभी अच्छे काम निष्फल हो जाते हैं.’ पीठ ने कहा, ‘जिस राज्य में हम सौ फीसदी साक्षरता का दावा करते हैं, वहां महिलाओं के प्रति हमारा रवैया घृणास्पद है. एक सिंगल मां के लिए किसी तरह का वित्तीय या सामाजिक सहयोग नहीं है.’More Related News