
मोहम्मद बिन कासिम के खिलाफ युद्ध से टोक्यो तक काफी कुछ बदला, जाति शाश्वत रही
The Quint
casteism in india. टोक्यो ओलंपिक से प्राचीन युद्ध तक काफी कुछ बदला, लेकिन जाति शाश्वत रही. A lot changed from the Tokyo Olympics to the ancient war, but Casteism remained eternal. PV sindhu and vandana kataria caste
हॉकी खिलाड़ी (Hockey Player) दलित वंदना कटारिया (Vandana Vatariya) के परिजन को यह कहते हुए अपमानित किया गया कि उन्होंने मैच हरवा दिया जबकि देखा जाए तो हॉकी में उसका श्रेष्ठ प्रदर्शन था. अगर सवर्ण की बेटी होती तो पूरे जाति के लिए गौरव की बात होती. कांस्य पदक कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. जब पी. वी. सिंधु और लावलीना ओलिंपिक खेल में मेडल पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, वहीं इधर लोग इस बात को लेकर संघर्ष कर रहे थे कि ये कौन जाति के हैं. अगर जाति के नहीं हैं तो भीतर से कितना सदमा लगता है, लेकिन खुशी तो मनानी ही पड़ती है, क्योंकि समाज का दबाव रहता है. पहली बार जब पी. वी. सिंधु ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा खेली थी तब भी अधिकतम खोज गूगल पर उसकी जाति के बारे में हुई थीं. टेक्नोलॉजी को कोई झुठला नही सकता वर्ना इस सच्चाई को भी झुठला दिया जाता. कहा जाता कि क्या अतीत की बात करते हो! वो जमाना गुजर गया.जातियां और जंगभारत के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण जातियों में बंटा होना है. भारत एक भी जंग बाहर के आक्रमणकारियों से जीत नही पाया. हम दोष आक्रांताओं को देते हैं, लेकिन आंतरिक कारण को नहीं स्वीकारते. जनतंत्र के पहले यह सब जगह था, जो कामजोर थे उनको दबाया गया. जब भारतीय समाज टुकड़ों में बंटा था तो कोई लाभ क्यों नहीं उठाएगा?सिंध के राजा दाहिर को 712 में मोहम्मद बिन कासिम को हरा न पाता अगर भीतरघात न हुआ होता. लार्ड क्लाइव की छोटी सी सेना प्लासी में युद्ध किया तो आसानी से जीत गई. जब वो समुद्री जहाज से उतरा और रास्ते मे देखा कि यहां लोगों की जनसंख्या बहुत है. एक समय सेना डर भी गई अगर लोग ईंट व पत्थर उठा लिए तो उनका क्या होगा?लेकिन होना क्या था लोग तो जातियों में बंटे तमाशा देख रहे थे, जैसे कहार का काम मिट्टी का बर्तन बनाना, नाई का बाल काटना, धोबी का कपड़ा धोना और इस तरह सब अपने अपने जाति के पेशे तक सीमित रहे. एक जाति की जिम्मेदारी थी लड़ने और रक्षा करने की. दूसरी जातियां मूकदर्शक बनी रहीं या तो आक्रांताओं के साथ जा मिलीं. जब यहां कोई पूछा नहीं या अपने ही हुक्मरानों ने तिरस्कृत किया तो आक्रमणकारियों ने पुचकारा और साथ कर लिया.ADVERTISEMENTसबसे ज्यादा क्षति जातिवाद सेदिल्ली कैंट में 9 वर्ष की दलित बेटी का रेप होपा और हत्या कर दी जाती है. लेकिन हत्यारों को भय नहीं होता वह इसलिए क्योंकि उन्हें लगता ...More Related News