मोहन भागवत के बाद इंद्रेश... भाजपा को क्या संदेश? BJP और RSS के मतभेद की चर्चाओं में उठ रहे ये सवाल
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आखिर आरएसएस के बयान से बीजेपी इतनी असहज और असहाय क्यों नजर आ रही है? इधर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, उधर अगले ही दिन से आरएसएस और बीजेपी के बीच मनभेद और मतभेद की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. वजह है RSS की टॉप लीडरशिप और संघ की पत्रिका में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर की गई सार्वजनिक टिप्पणी और लेख में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर की गई समीक्षा.
आरएसएस और बीजेपी के बीच मतभेद और मनभेद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान, संघ की पत्रिका में लिखे गए लेख और संघ के बड़े नेता इंद्रेश कुमार के बयान के मायने तलाशे जा रहे हैं. आज बहुत लोगों के मन में कई तरह के सवाल घूम रहे हैं कि आखिर मोहन भागवत ने क्यों ऐसा कहा और इंद्रेश कुमार ने क्यों बयान दिया. साथ ही पत्रिका में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन पर जो लेख लिखा गया, उसका मतलब क्या है? क्या मोदी और शाह की अगुवाई में बीजेपी की वर्किंग स्टाइल से संघ खुश नहीं है. क्या संघ की तरफ से इशारे-इशारे में बीजेपी की टॉप लीडरशिप पर निशाना साधा गया है? ऐसे ही सवालों के जवाबों को तलाशने की कोशिश की गई है कि BJP और RSS के बीच अंदरखाने आखिर चल क्या रहा है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से जब आरएसएस के बयान पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जितनी बीजेपी को सीट मिली, 240... उतना कांग्रेस का अगर तीन चुनाव का भी काउंट करें तो वह नहीं पहुंचते हैं. आज वो लोग बड़ी-बड़ी बात करेंगे तो ये ठीक नहीं है. सवाल इंद्रेश कुमार के बयान पर पूछा गया लेकिन मुख्यमंत्री साहेब पूरे जवाब दिए बिना ही चल दिए, पत्रकार सवाल पूछते रहे और मुख्यमंत्री आगे बढ़ गये, RSS के सवाल पर बीजेपी के बड़े-बड़े नेता यूं ही कन्नी काटते हुए नजर आ रहे हैं.
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RSS के बयान से असहज नजर आ रहे बीजेपी नेता?
आखिर आरएसएस के बयान से बीजेपी इतनी असहज और असहाय क्यों नजर आ रही है? इसके लिए पूरी टाइमलाइन पर ध्यान देने की जरूरत है. दरअसल, इधर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, उधर अगले ही दिन से आरएसएस और बीजेपी के बीच मनभेद और मतभेद की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. वजह है RSS की टॉप लीडरशिप और संघ की पत्रिका में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर की गई सार्वजनिक टिप्पणी और लेख में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर की गई समीक्षा.
- 10 जून को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में चुनाव परिणाम की अपने निजी विचार रखे. किसी का नाम नहीं लिया लेकिन इशारे-इशारे में अहंकार को BJP के प्रदर्शन से जोड़ा. - 12 जून को आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में बीजेपी के प्रदर्शन पर लेख लिखा गया. दावा किया गया कि अहंकार और अतिआत्मविश्वस बीजेपी के खराब प्रदर्शन का मुख्य कारण रहा. - और 13 जून को संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने खुल्लमखुल्ला बीजेपी के प्रदर्शन को पार्टी के घमंड से जोड़ दिया. यानी तीन दिन में RSS की तरफ से आई प्रतिक्रिया ने दोनों संगठनों के बीच वैचारिक मतभेद को जगजाहिर कर दिया.
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