मोबाइल फोन बाहर रखवाए, मीडिया में बयान से रोका... जानें कांग्रेस की 'महाबैठक' में क्या हुआ?
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कांग्रेस ने अगले साल होने वाले आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र में संसदीय चुनाव की तैयारियों को लेकर आद दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राज्य के 30 से ज्यादा नेता मौजूद रहे. इस बैठक में भाजपा को रोकने के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई. साथ ही चर्चा का केंद्र यह भी था कि पार्टी अपने पुराने गढ़ यानी महाराष्ट्र को वापस कैसे जीतेगी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बंटबारे के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मैराथन बैठक की. हाल ही में आयोजित राज्य इकाई की बैठकों के जारी सिलसिले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने 4 घंटे से ज्यादा समय तक हालातों पर चर्चा की. इस बैठक में कांग्रेस के 30 से ज्यादा नेता मौजूद थे.
दिलचस्प बात यह है कि इस बैठक के दौरान सभी नेताओं को अपने मोबाइल फोन बाहर छोड़ने के लिए कहा गया था और नेताओं को निर्देश दिया गया कि इस बैठक के बाद मीडिया से कोई भी नेता ज्यादा बातचीत नहीं करेगा. बैठक के बाद कई नेता अपनी बात सुनने से उत्साहित दिखे और कहा कि यह लंबे समय के बाद पहली बार हुआ है. पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस महाराष्ट्र में लो प्रोफाइल (Low Profile) पार्टी है. इसकी वजह है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों शिवसेना और NCP के साथ दूसरी भूमिका निभाई में रही है.
पार्टी नेताओं ने एनसीपी के टूटने के मद्देनजर आगे की रणनीति पर चर्चा की. बैठक में मौजूद एक पार्टी नेता ने कहा, 'हम स्थिति पर नजर रखेंगे. अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अजित के पास दो तिहाई विधायक हैं या नहीं, यदि नहीं तो नए शपथ लेने वाले मंत्रियों को अयोग्य घोषित करने की जरूरत है.'
अजित को शरद पवार ने दिया बढ़ावा?
बैठक के दौरान कुछ नेताओं ने इस भ्रम पर भी आपत्ति जताई कि कहीं अजित पवार को खुद शरद पवार ने तो इस बगावत के लिए बढ़ावा नहीं दिया है. बैठक में मौजूद एक अन्य सूत्र ने कहा, पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया है कि कांग्रेस फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में रहेगी जैसा कि शिवसेना के विभाजन के मामले में था. जहां कि बाद में यह साफ हो गया कि शिंदे खेमे ने उद्धव ठाकरे की इच्छा के खिलाफ काम किया था.
फिलहाल एनसीपी के विभाजन के बाद विपक्ष का नेता कौन होगा यह मुद्दा बना हुआ है. सूत्रों ने आजतक को बताया कि शरद पवार गुट ने कांग्रेस से अनुरोध किया है कि वह बने रहें क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उनके पक्ष में अधिकांश विधायक होंगे और सवाल यह है कि नए विपक्ष के नेता का चयन करने की नौबत नहीं आएगी. इस बीच, कांग्रेस इस अवसर को महसूस करते हुए अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है कि उसका पारंपरिक वोट बैंक पैदा हुए शून्य के साथ वापस आ सकता है.
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