मोबाइल पर मशगूल था तो देख नहीं पाया... अदालत में मुकरा अफसर, 'बल्लाकांड' के आरोपियों के बरी होने की Inside Story
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Indore News: पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय के बरी होने का सबसे बड़ा कारण फरियादी अधिकारी धीरेंद्र बायस ही रहे. नगर निगम अधिकारी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि जब उन्हें चोट लगी तो वह मोबाइल फोन पर बात कर रहे थे और बातचीत में मशगूल होने के कारण यह नहीं देख पाए कि चोट किसने पहुंचाई.
MP News: इंदौर नगर निगम के अधिकारी को बल्ले से पीटने के आरोप से बीजेपी के पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय बरी हो गए. सोमवार को एमपी एमएलए कोर्ट ने आकाश के अलावा अन्य 9 को भी दोषमुक्त करार दिया. जबकि एक आरोपी मोनू कल्याणे की हत्या हो चुकी है. आकाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश के ताकतवर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं.
बचाव पक्ष के वकील उदयप्रताप सिंह कुशवाह ने बताया कि अभियोजन पक्ष मामले में आरोपों को अदालत में साबित नहीं कर सका. इस वजह से अदालत ने विजयवर्गीय और 9 अन्य को बरी कर दिया, जबकि मामले के एक अन्य आरोपी की हत्या हो चुकी है.
वकील ने कहा कि घटना के कथित वीडियो की प्रामाणिकता अदालत में साबित नहीं की जा सकी और नगर निगम के शिकायतकर्ता अधिकारी धीरेंद्र सिंह बयास और अन्य गवाहों ने अभियोजन पक्ष की कहानी का समर्थन नहीं किया.
दरअसल, पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय के बरी होने का सबसे बड़ा कारण फरियादी अधिकारी धीरेंद्र बायस ही रहे. अधिकारी ने अदालत में जिरह के दौरान अपने बयान में बताया कि जब उन्हें चोट लगी तो वह मोबाइल फोन पर बात कर रहे थे और बातचीत में मशगूल होने के कारण यह नहीं देख पाए कि चोट किसने पहुंचाई.
जबकि 26 जून 2019 को तत्कालीन BJP विधायक आकाश विजयवर्गीय और 10 अन्य के खिलाफ नगर निगम के भवन निरीक्षक धीरेंद्र बायस ने क्रिकेट बैट से पिटाई करने का मामला दर्ज करवाया था. उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी.
एमजी रोड थाने में आईपीसी की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 294 (अपमानजनक भाषा), 323 (हमला), 506 (आपराधिक धमकी), 147 (दंगा) और 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
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