मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर पैकेज का क्या हुआ?
BBC
कोरोना की पहली लहर में मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की थी. एक साल बाद उस पैकेज का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना और कैसे पड़ा है, उसी की पड़ताल करती रिपोर्ट.
कोरोना महामारी के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अब भी बीमार पड़ी है. सोमवार को जारी हुए जीडीपी के आँकड़ों में थोड़ा सुधार दिख रहा है. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जहां क़रीब 8 फ़ीसदी गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा था. वहीं यह आंकड़ा 7.3 प्रतिशत पर ही थम गया है. और इसी अवधि की चौथी तिमाही में यानी जनवरी से मार्च के बीच जहां 1.3% बढ़त का अंदाज़ा था, वहां 1.6% बढ़त दर्ज हुई है. लेकिन इन आँकड़ों के आधार पर अब भी स्थिति ऐसी नहीं लगती कि अर्थव्यवस्था तुरंत खड़ी होकर दौड़ने लगे. अर्थव्यवस्था किस हद तक बीमार है और उसका इलाज कितना ज़रूरी है, इसका अंदाजा चार-पाँच पैमानों से लगाया जा सकता है. जीडीपी के आँकड़े (जो सोमवार को जारी किए गए) बेरोजगारी दर (जो लगातार बढ़ रही है) महंगाई दर (खाद्य वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं) और लोगों के खर्च करने की क्षमता (आमदनी नहीं तो खर्च कहाँ से करें). इन सभी पैमानों पर पिछले एक साल में सूरत में बहुत बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है. यही है भारत की बीमार अर्थव्यवस्था के कारण. हालांकि ख़ुद को अर्थव्यवस्था का डॉक्टर बताने वाली मोदी सरकार ने बीमारी के इलाज की काफी कोशिशें की है. लेकिन सरकार बीमार को ठीक करने में सफ़ल नहीं हुई. इसलिए पता लगाने की ज़रूरत है कि ग़लती कहाँ हुई.More Related News