
मोदी सरकार की कार्रवाई से अधर में लटके ग़ैर सरकारी संगठन
BBC
महज़ एक सप्ताह के अंदर ही गृह मंत्रालय की कार्रवाई ने कई ग़ैर सरकारी संगठनों को अधर में डाल दिया है.
बड़ी संख्या में ग़ैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशी धन प्राप्त करने से लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई में ना तो दलितों के अधिकारों के लिए काम करने वालों को बख्शा गया है और ना ही सत्तारूढ़ दल के साथ पहचाने जाने वाले संगठनों को ही रियायत दी गई है.
महज़ एक सप्ताह के अंदर ही गृह मंत्रालय की कार्रवाई ने कई ग़ैर सरकारी संगठनों को अधर में डाल दिया है.
ग़रीबों के बीच काम करने वाली 179 संस्थाओं के लाइसेंस रद्द करने और 5,789 संस्थाओं के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करने की कार्रवाई का एनजीओ सेक्टर पर पड़ने वाले असर का सीधा आकलन अभी नहीं हो पाया है.
हालांकि इस कार्रवाई का जिन संगठनों पर असर पड़ा है, उनमें मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनिरीज़ ऑफ़ चैरिटी, ऑक्सफ़ैम इंडिया, जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसी संस्थाएं तो हैं ही साथ ही आंध्र प्रदेश के गुंटूर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मदद से काम करने वाली संस्था सेवा भारती और त्रिपुरा में ईसाई धर्मांतरण के विरोध में काम करने वाली संस्था शांतिकाली मिशन भी शामिल है.
विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने बीबीसी हिंदी से बताया, "संघ परिवार से जुड़ी संस्था सेवा भारती और ईसाई धर्मांतरण का विरोध करने वाले शांतिकाली महाराज, जिनकी ईसाईयों ने हत्या कर दी थी, उनकी संस्था को भी रद्द किया गया है. यह दर्शाता है कि नियमों का पालन नहीं करने पर लाइसेंस रद्द होंगे. इस कार्रवाई में धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया गया है."