
मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने के मामले में हाईकोर्ट ने खंडित निर्णय दिया
The Wire
दिल्ली हाईकोर्ट की एक पीठ ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में खंडित फ़ैसला दिया, जहां एक जज ने आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद के प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है. कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय पर निराशा ज़ाहिर की है.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) को अपराध घोषित करने के मामले में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को खंडित निर्णय सुनाया. Don’t know how many more years we will have to wait to change a British era law! Marital rape is a reality and it’s high time we take the strongest action against it! https://t.co/9pcb0cX9rG
इन याचिकाओं में कानून के उस अपवाद को चुनौती दी गई थी जिसके तहत पत्नियों के साथ बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाने के लिए मुकदमे से पतियों को छूट है. — Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) May 11, 2022
अदालत के एक न्यायाधीश ने इस प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है. खंडपीठ ने पक्षकारों को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने की छूट दी.
खंडपीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस राजीव शकधर ने वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को समाप्त करने का समर्थन किया और कहा कि भारतीय दंड संहिता लागू होने के ‘162 साल बाद भी एक विवाहित महिला की न्याय की मांग नहीं सुनी जाती है तो दुखद है’, जबकि जस्टिस सी. हरिशंकर ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत प्रदत्त ‘यह अपवाद असंवैधानिक नहीं हैं और संबंधित अंतर सरलता से समझ में आने वाला है.’