
मेडिकल की परीक्षा में पिछड़ों को आरक्षण, क्या बीजेपी का ये मास्टर स्ट्रोक है
ABP News
राज की बात ये है कि बीजेपी का मानना है कि उसका अपना स्थायी वोट बैंक 20 से 22 प्रतिशत है. यह वोट बैंक विचारधारा और हिन्दुत्ववादी की चाशनी में डूब कर भाजपा से जुड़ा है.
पीएम मोदी के मेडिकल की परीक्षा में ओबीसी और अति गरीबों को आरक्षण के कदम को मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है. खुद पीएम भी इसे सामाजिक उत्थान के लिहाज से मास्टर स्ट्रोक ही मान रहे हैं. मगर मास्टर स्ट्रोक का मतलब ये है कि बाजी पलट दी जाए. तो सवाल है कि ये कौन सी बाजी पलटने वाला मास्टरस्ट्रोक है? जो कहा गया है वो आपने सुन लिया, लेकिन यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला कौन सी बाजी पलटने के लिए लिया गया? साथ ही सवाल ये भी कि इस आरक्षण के मास्टरकार्ड की जरूरत क्यों महसूस हुई? इन सवालों में छिपी राज की बात हम आपको बताएं, उससे पहले ये समझना जरूरी है कि ये फैसला क्या है. तो सपाट अंदाज में ऐसे समझिए कि देश में मंडल आयोग की सिफ़ारिशों के बाद पिछड़ों को 27 फ़ीसदी आरक्षण की शुरुआत हुई थी. उसके बावजूद देश में मेडिकल पाठ्यक्रमों के अखिल भारतीय हिस्सेदारी (ऑल इंडिया कोटा) में यह आरक्षण नहीं मिल पा रहा था.More Related News