
मेटावर्स में फ़ेसबुक की इतनी दिलचस्पी क्यों, क्या ये हमारी ज़िंदगी को कंट्रोल कर सकता है - दुनिया जहान
BBC
फ़ेसबुक ने कहा है कि वो आने वाले वक्त में यूज़र्स के लिए मेटावर्स बनाएगा. ये है क्या और फ़ेसबुक इसमें अरबों डॉलर का निवेश क्यों करना चाहता है?
28 अक्तूबर को मार्क ज़करबर्ग ने फ़ेसबुक का नाम बदल कर मेटा कर दिया और घोषणा की कि कंपनी एक अलग तरह की दुनिया बनाने पर काम करेगी. ये नई दुनिया भविष्य की उनकी एक परिकल्पना है जिसे उन्होंने मेटावर्स कहा है.
ज़करबर्ग ने बताया कि मेटावर्स बनाने में कंपनी अरबों डॉलर का निवेश करेगी. उन्होंने एक वीडियो प्रेज़ेन्टेशन दिखाया जिसमें एक व्यक्ति अपने डिजिटल अवतार में मेटावर्स में जाता है. वो अपने दोस्तों से मिलता है जो असल में अलग-अलग जगहों पर हैं. वो अपनी कलाई पर क्लिक कर दूसरों से संपर्क करता है और फ़ोन पर भेजी गई तस्वीर को थ्रीडी आकार में देखता है.
इस बार दुनिया जहान में पड़ताल इस बात की कि मेटावर्स क्या है, फ़ेसबुक इसे लेकर इतना उत्साहित क्यों है और ये हमें कैसे प्रभावित कर सकता है.
एफ़ी बार ज़ीव वर्चुअल अवतारों की दुनिया सेकंड लाइफ़ की तकनीक बनाने वाले में से एक हैं. ये सॉफ्टवेयर 18 साल पहले रिलीज़ हुआ था. वो अर्थव्यूअर बनाने वाली कंपनी कीहोल के भी को-फाउंडर हैं, जिसे आज हम गूगल अर्थ के नाम से जानते हैं.