
मुस्लिम बुज़ुर्ग का वायरल वीडियो मामला : ट्विटर और पत्रकारों पर एफ़आईआर, पुलिस ने किस आधार पर की कार्रवाई?
BBC
गाज़ियाबाद में एक मुसलमान बुजुर्ग की पिटाई के बाद उठे विवाद में ट्विटर और कुछ पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने का कानूनी आधार क्या है?
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में एक बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो को ट्विटर पर पोस्ट करने के मामले में ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने ट्विटर, पत्रकारों और कांग्रेस के कुछ नेताओं पर मुक़दमा दर्ज किया है. ये वीडियो इन पत्रकारों के अलावा और भी कई समाचार माध्यमों और बड़ी संख्या में दूसरे लोगों ने भी ट्विटर पर पोस्ट किया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सिर्फ़ कुछ चुनिंदा लोगों पर ही मुक़दमा क्यों दर्ज किया गया. ग़ाज़ियाबाद पुलिस का कहना है कि मुक़दमा दर्ज करते समय ये ध्यान रखा गया है कि किसके ट्वीट का कितना असर हुआ है. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी का कहना है कि पुलिस ने मुक़दमा दर्ज करते समय पोस्ट करने वाले लोगों की मंशा भी देखी है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मुक़दमे में ट्विटर, ट्विटर कम्यूनिकेसंश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर, पत्रकार राना अय्यूब, समाचार वेब पोर्टल द वायर, पत्रकार सबा नक़वी, कांग्रेस नेताओं मस्कूर उस्मानी, सलमान निज़ामी और डॉ. शमा मोहम्मद को अभियुक्त बनाया गया है. ये भी पढ़ें : मॉब लिंचिंग के मामले में झारखंड यूं ही 'बदनाम' नहीं है!More Related News