मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर सुपुर्द-ए-खाक, कोरोना के बावजूद जुटी हजारों की भीड़
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गहलोत सरकार में मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर काफी दिन से बीमार चल रहे थे. कुछ दिन पहले वे कोमा में चले गए थे. मंगलवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.
पश्चिमी राजस्थान में मुस्लिम समाज के धर्मगुरु और कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार तड़के 2 बजे जोधपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वो 84 साल के थे. इसकी जानकारी मिलने पर मुस्लिम समाज और अन्य समुदायों के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई. वे पिछले कुछ दिनों से कोमा में चल रहे थे. गाजी फकीर को मंगलवार को उनके पैतृक गांव में सुपुर्द-ए-खाक किया गया. मंगलवार सुबह उनके पैतृक गांव झाबरा में उनका शव लाया गया, जहां करीब 10,000 से ज्यादा उनके अनुयाईयों ने पहुंचकर उनके अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी. जैसलमेर बाड़मेर के साथ आस-पास के कई क्षेत्रों से उनके चाहने वाले उनके गांव पहुंचे. इसके बाद उनके घर से लेकर गांव की दरगाह तक उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. बाद में झबरा गांव की दरगाह में गाजी फकीर के पिता की कब्र के पास ही मुस्लिम समाज की रीतियों के अनुसार सपुर्द-ए-खाक किया गया. उससे पहले अंतिम नमाज अदा की गई और लोगों ने उन्हें नम आंखो से विदाई दी.मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
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