'मुझे कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी खलती है...केरल में होता है धर्म परिवर्तन', बोले- दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह
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मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर बयान देते हुए कहा कि मैं सिंधिया को मिस करता हूं, क्योंकि सिंधिया जी से कांग्रेस को लाभ था. उन्होंने केरल स्टोरी को लेकर भी बड़ी बात कही
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी खलती है. 2020 में कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया इस समय केंद्रीय मंत्री हैं. सिंधिया के कांग्रेस छोड़ते ही मध्यम प्रदेश में कांग्रेस सरकार अल्पमत में आकर गिर गई थी और बाद में शिवराज सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी.
राजगढ़ जिले के चाचौड़ा से विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा,'मुझे सिंधिया की याद आती है क्योंकि उनकी उपस्थिति कांग्रेस के लिए फायदेमंद थी. इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिंधिया में क्षमता है और वह बड़े अच्छे वक्ता हैं.' गौर करने वाली बात ये है कि लक्ष्मण सिंह का यह बयान ऐसे समय में आय है जब उनके भाई दिग्विजय सिंह ने कुछ दिन पहले कहा था कि अगर पार्टी ने आदेश दिया तो वह गुना लोकसभा सीट से सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं.
सिंधिया 2019 में अपने परिवार के पारंपरिक गढ़ गुना से चुनाव हार गए थे. पत्रकारों से बात करते हुए लक्ष्मण सिंह ने यह भी दावा किया कि भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं क्योंकि वे भगवा पार्टी से नाखुश हैं और जानते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों का परिणाम क्या होगा.
फिल्म केरल स्टोरी को लेकर भी लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस नेताओं के विपरीत बयान देते हुए कहा, 'मैंने फिल्म नहीं देखी है और मैं नहीं कह सकता हूं कि उसमें कितनी सच्चाई दिखाई गई है या नहीं दिखाई गई है. लेकिन ऐसी घटनाएं केरल में होती हैं. हां कई ऐसे परिवार हैं जो उसके शिकार हुए हैं. मुझे मालूम है क्योंकि मैंने 1975 में वहां चाय कंपनी में नौकरी की थी.'
वहीं बजरंग दल को बैन करने संबंधित सवाल का जवाब देते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा, 'मेरे ख्याल से ऐसी जरूरत नहीं है कि बजरंग दल को प्रतिबंधित किया जाए. कोई एंटीनेशनल है तो उसे बैन करिए जेल में डालिए, उसके लिए एनआईए है. जब एनआईए कुछ नहीं कह रहा है तो इनमें कुछ ऐसा एंटी नेशनल जैसा मुझे नहीं दिखता है.'
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