मुज़फ़्फ़रनगर से ग्राउंड रिपोर्टः क्या दंगों से आगे बढ़ गया है पश्चिम उत्तर प्रदेश का ये इलाक़ा?
BBC
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मु़ज़फ़्फ़रनगर में गन्ने से गुड़ बनाने का सत्र शुरू हो गया है. दशहरे के पर्व के साथ ही यहां के कोल्हुओं की चिमनियों से धुआं उठना शुरू हो जाता है और माहौल में गन्ने के रस और ताज़ा गुड़ की गंध घुल जाती है.
मोहम्मद मौसम तेज़ हाथों से गुड़ बनाने में जुटे हैं. शाम होते-होते वो आठ-नौ सौ रुपए कमा लेंगे. वो पिछले कई सालों से कवाल गांव के मलिकपुरा में देवेंद्र सिंह के इस कोल्हू पर काम करने आ रहे हैं.
साल 2013 में हुए मुज़फ़्फ़रनगर दंगों की शुरुआत कवाल गांव से ही हुई थी. 27 अगस्त 2013 को यहां पहले शाहनवाज़ और फिर सचिन और गौरव नाम के युवकों की हत्या कर दी गई थी.
इस हत्याकांड के बाद पैदा हुए सांप्रदायिक तनाव ने पूरे ज़िले को जकड़ लिया था और 7-8 सितंबर को मुज़फ़्फ़रनगर के अलग-अलग इलाक़ों में भीषण हिंसा हुई थी जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे और हज़ारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था.
मुज़फ़्फरनगर दंगों के बाद हिंदुओ और मुसलमानों के बीच पैदा हुआ सांप्रदायिक तनाव राजनीतिक ध्रुवीकरण में बदल गया था जिसका असर आगे चलकर कई चुनावों पर हुआ.