मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को सुप्रीम कोर्ट से राहत, इन दो मामलों में मिली जमानत
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अब्बास अंसारी पर आरोप है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन नाम की फर्म मनी लॉन्ड्रिंग में सीधे तौर पर शामिल है. उक्त फर्म ने जमीनों पर कब्जा कर उन पर बनाए गोदामों को एफसीआई को किराए पर देकर 15 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की. कंपनी पर नाबार्ड से सवा दो करोड़ रुपये की सब्सिडी भी प्राप्त करने का भी आरोप है.
यूपी की मऊ विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी के दर्ज मामले और चित्रकूट जेल में पत्नी से अवैध रूप से मुलाकात करने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई है. लेकिन गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामलों की वजह से फिलहाल वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे.
दरअसल, ईडी ने अब्बास अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया पैसे के लेनदेन का संबंध साबित होता है. मनी लांड्रिंग अधिनियम के प्रावधानों के तहत अदालत इस बात से संतुष्ट नही है कि अभियुक्त इस मामले में निर्दोष है. अब्बास अंसारी पर आरोप है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन नाम की फर्म मनी लॉन्ड्रिंग में सीधे तौर पर शामिल है. उक्त फर्म ने जमीनों पर कब्जा कर उन पर बनाए गोदामों को एफसीआई को किराए पर देकर 15 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की.
कंपनी पर नाबार्ड से सवा दो करोड़ रुपये की सब्सिडी भी प्राप्त करने का भी आरोप है. लेकिन अब्बास अंसारी के जेल से बाहर आने की राह में अभी भी बड़ी कानूनी बाधाएं हैं. उनके खिलाफ 4 सितंबर को लगाए गए गैंगस्टर एक्ट और जेल मे अवैध मुलाकात के दर्ज मुकदमे मे जमानत नहीं मिलने की वजह से वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए कहा कि जांच में सहयोग करे अब्बास अंसारी. कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा है. गैंगस्टर मामले में अब्बास के वकील कपिल सिब्बल ने अंतरित जमानत की मांग की लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वो गैंगस्टर मामले में अब्बास की जमानत याचिका पर चार हफ्ते में सुनवाई पूरी करने का प्रयास करे. अब्बास के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि डेढ़ साल से ज्यादा समय से जेल मे हैं. अब्बास अंसारी के खिलाफ 4 सितंबर को गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था.
नायब सैनी सरकार ने राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का फैसला लागू किया है. हालांकि इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने नाराजगी जताई है. इसी साल 1 अगस्त को CJI की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण की अनुमति दी थी, ताकि अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा प्रदान किया जा सके.