
मीडिया पर कई प्रकार से हमले हो रहे, पत्रकारों को इसकी रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए: जस्टिस लोकुर
The Wire
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज करने और उन्हें उनका काम करने के लिए गिरफ़्तार करने समेत कई घटनाओं से मीडियाकर्मियों पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ता है, जिससे वे ज़रूरत से ज़्यादा सावधान होकर काम करने लगते हैं.
पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए आईपीआई-इंडिया पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने और उन्हें उनका काम करने के लिए गिरफ्तार करने समेत कई घटनाओं से मीडियाकर्मियों पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ता है, जिससे वे जरूरत से ज्यादा सावधान होकर काम करने लगते हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह सामान्य ज्ञान का मामला है कि प्रेस पर कई तरह के हमले होते हैं. कई पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें उनका काम करने के लिए लंबे समय तक जेल में रखा गया. कई पत्रकारों के विरुद्ध इसी कारण से एफआईआर दर्ज की गई. ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब कुछ पत्रकारों को शालीनता से बात मानने पर मजबूर किया गया.’
जस्टिस लोकुर ने कहा कि ऐसी घटनाएं सामने आईं जब मीडिया संगठनों को विज्ञापन नहीं दिए गए या विज्ञापन का भुगतान नहीं किया गया जिससे छोटे अखबार तबाह हो गए.
उन्होंने मलयालम समाचार चैनल मीडियावन का परोक्ष रूप से उदाहरण देते हुए कहा, ‘अब एक नया मामला सामने आया है. एक टीवी चैनल के लाइसेंस का नवीकरण राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए नहीं किया गया. इस मामले में किसी कारण का खुलासा नहीं किया गया.’