
मीडिया ट्रायल अदालती फैसले से पहले ही व्यक्ति को दोषी ठहरा देती है: सीजेआई चंद्रचूड़
The Wire
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रेस राज्य की अवधारणा में चौथा स्तंभ है. एक स्वस्थ लोकतंत्र को पत्रकारिता को एक ऐसी संस्था के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए, जो सत्ता से कठिन सवाल पूछ सके. जब प्रेस को ऐसा करने से रोका जाता है तो किसी भी लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता किया जाता है.
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को एक समारोह में कहा कि मीडिया ट्रायल के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि इससे ऐसी धारणा पनपती है, जो किसी व्यक्ति को अदालती फैसला आने से पहले ही जनता की नजर में गुनहगार बना देती है.
एनडीटीवी के मुताबिक, 16वें रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि जिम्मेदार पत्रकारिता सत्य के प्रकाश-स्तंभ की तरह होती है, जो हमें बेहतर कल का रास्ता दिखा सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सीजेआई ने कहा, ‘प्रेस राज्य की अवधारणा में चौथा स्तंभ है और इस प्रकार लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग है. एक क्रियाशील और स्वस्थ लोकतंत्र को पत्रकारिता के विकास को एक ऐसी संस्था के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए, जो सत्ता से कठिन सवाल पूछ सके या जैसा कि यह आमतौर पर जाना जाता है, सत्ता के सामने सच बोलो.’
वे आगे बोले, ‘जब प्रेस को ऐसा करने से रोका जाता है तो किसी भी लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता किया जाता है. अगर किसी देश को लोकतांत्रिक बने रहना है तो प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए.’