
मायावती को याद आया 14 साल पुराना फॉर्मूला, क्या BSP की सोशल इंजीनियरिंग से बदलेगी यूपी की सियासत?
ABP News
मायावती को 14 साल पुराना फॉर्मूला फिर से याद आ रहा है और इसीलिए ब्राह्मणों को रिझाने में बीएसपी जुट गई है. विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह जातियों की जोड़-तोड़ की कवायद यूपी में और बढ़ेगी.
Uttar Pradesh Assembly Election 2022: यूपी में विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं सियासी दल जातीय समीकरणों को साधने में जुट गए हैं. खास तौर से राजनीति में अच्छा खासा दबदबा रखने वाले ब्राह्मण समुदाय को अपने साथ लाने की कवायद सभी दलों ने शुरू कर दी है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने तो प्रदेश में एक बार फिर 2007 के फॉर्मूले को अपनाने की बात करते हुए जगह-जगह ब्राह्मण जोड़ो अभियान की शुरुआत करने का ऐलान कर दिया है. जबकि समाजवादी पार्टी हो, बीजेपी हो या कांग्रेस सभी बीएसपी पर निशाना साध रहे हैं और खुद को सबसे बड़ा ब्राह्मणों का हितैषी बताने में जुट गए हैं. फिलहाल विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह जातियों की जोड़-तोड़ की कवायद यूपी में और बढ़ेगी. उत्तर प्रदेश में हमेशा से जातिगत सियासत देखने को मिलती रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी एक बार सियासत जातिगत समीकरणों पर ही केंद्रित होती नजर आ रही है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह से कल एक न्यूज़ एजेंसी से बातचीत के दौरान ब्राह्मणों को बीएसपी के साथ जोड़ने की बात कही उससे इतना तो तय हो गया है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी. शायद मायावती को भी इस बात का एहसास है कि 2007 में जब वह पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई तो उसमें भी कहीं न कहीं ब्राह्मणों का ही सहयोग सबसे ज्यादा रहा. तब बीएसपी ने जो भाईचारा कमेटी बनाई और जो सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया उसका असर यह हुआ कि तब ब्राह्मण समाज ने बीएसपी के लिए निगेटिव प्रचार नहीं किया, पार्टी के लिए कोई नकारात्मक बात नहीं बोली और तब बीएसपी ने सबसे ज्यादा लगभग 86 टिकट ब्राह्मणों को ही दिए थे. जिनमें से 41 जीतकर विधायक बने थे और बीएसपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई थी. अब मायावती को 14 साल पुराना वही फॉर्मूला फिर से याद आ रहा है और इसीलिए ब्राह्मणों को रिझाने में पार्टी जुट गई है और 23 जुलाई से अयोध्या से ब्राह्मण जोड़ो अभियान की शुरुआत भी होने जा रही है.More Related News