
मानस मंत्र: सुकृति संभु तन बिमल बिभूती, शिव जी के शरीर पर लिपटी भस्म ही है गुरु रज, तुलसीदास जी ने गुरु रज की बताई अद्भुत महिमा
ABP News
Chaupai Ramcharitmanas: श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना तुलसीदास जी अनन्य भगवद् भक्त के द्वारा की गई है. मानस मंत्र के अर्थ को समझते हुए मानस की कृपा से भवसागर पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं .
Motivational Quotes, Chaupai, ramcharitmanas : तुलसीदास जी ने मानस के प्रारंभ में गुरु की चरणों की रज का माहत्म बताया है. गुरु के पद नख के प्रकाश की महिमा का भी चौपाइयों में उल्लेख किया है. तुलसीदास जी की चौपाइयों का मर्म है की साधक आदि सुंदर अंजन लगाकर इस पृथ्वी की वस्तुएं को देखते है उसी प्रकार मैं गुरु की पद की रज को अंजन की भांति लगाकर विवेक रूपी नेत्रों को स्वच्छ करके श्री रामचरित का वर्णन करता हूं.
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू।।
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