मानस मंत्र: रघुपति चरन उपासक जेते, खग मृग सुर नर असुर समेते, श्रीराम चन्द्र जी के चरणों के सभी उपासक वंदनीय
ABP News
Chaupai, ramcharitmanas: श्रीरामचरितमानस ग्रंथ की रचना तुलसीदास जी अनन्य भगवद् भक्त द्वारा की गई है. मानस मंत्र के अर्थ को समझते हुए मानस की कृपा से भवसागर पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं -
तुलसीदास जी वंदना के क्रम में श्रीराम की सेना उपस्थित सभी सेवकों को प्रणाम करते हैं साथ ही ऋषि, मुनियों की वंदना करते हैं. श्रीराम एवं सीता जी से निर्मल बुद्धि की मांग करते हैं. आज हम लोग उनको समझते है और मानस का अध्ययन करते हैं.
कपिपति रीछ निसाचर राजा । अंगदादि जे कीस समाजा।। बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए।।
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