
माकपा ने मनरेगा में जाति आधारित मज़दूरी देने की एडवाइज़री पर सवाल उठाए
The Wire
माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भेजे एक पत्र में केंद्र की ओर से राज्यों को भेजे गए उस परामर्श के पीछे की मंशा को लेकर सवाल खड़े किए, जिसमें कहा गया है कि मनरेगा के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य के लिए मज़दूरी के भुगतान को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाए.
नई दिल्लीः माकपा ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत वित्त वर्ष 2021-2022 से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य के लिए अलग-अलग श्रेणियों में मजदूरी भुगतान को अलग करने के केंद्र के निर्णय पर चिंता जताई है. माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे पत्र में केंद्र की ओर से राज्यों को भेजे गए उस परामर्श के पीछे की मंशा को लेकर सवाल खड़े किए, जिसमें कहा गया है कि मनरेगा के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य के लिए मजदूरी के भुगतान को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाए. उन्होंने कहा कि संसद में बिना किसी चर्चा के इसे लागू किया जा रहा है. पत्र में कहा गया, ‘काम के प्रावधान के लिए मांग आधारित सार्वभौमिक कार्यक्रम में आवंटन केवल काम की अपेक्षित मांग पर आधारित हो सकता है. आवंटन के साथ वर्गीकरण को जोड़ने से कानून का आधार कमजोर होगा, जो मांग आधारित और इसके पात्रता मानदंड में भी है इसलिए हम आपसे यह स्पष्ट करने का अनुरोध करते हैं कि यह क्यों आवश्यक हो गया है.’ पत्र में एडवाइडरी के एक वाक्य का जिक्र करते हुए इससे सरकार की मंशा पर गंभीर संदेह जताया गया क्योंकि यह धनराशि आवंटन से जुड़ा हुआ है.More Related News