महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों में पास, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बनेगा कानून, लागू होने में अभी हैं ये अड़चनें
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महिला आरक्षण विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में भी पास हो गया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित की जाएंगी. बुधवार को लोकसभा में मौजूद 456 सांसदों में से दो ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के खिलाफ मतदान किया था. जबकि गुरुवार को राज्यसभा में मौजूद सभी 214 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया.
आखिरकार राज्यसभा से भी महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया. बिल के समर्थन में 214 वोट डाले गए, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा. इससे पहले बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया था. अब बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण बिल, कानून बन जाएगा. हालांकि, पहले जनगणना और सीटों के परिसीमन का काम होगा. उच्च सदन में विधेयक पारित के बाद दोनों सदनों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है.
जानकारों का कहना है कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है. जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा. 128वें संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी. इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा. सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया को अगले साल शुरू किया जाएगा.
महिलाओं की संसद में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 33 प्रतिशत कोटा के भीतर आरक्षण देने समेत कई संशोधनों को खारिज किए जाने के बाद विधेयक पारित किया गया है. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल दोनों होगा, जो एससी-एसटी कैटेगिरी पर लागू होगा. बता दें कि देश के 95 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से करीब आधी महिलाएं हैं, लेकिन संसद में सिर्फ 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में उनकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है. महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा.
'2024 के आम चुनाव के बाद होगी जनगणना'
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा, उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 को लागू किया जाएगा. कर्मचारियों के लिए जनगणना का काम आसान नहीं है. इसमें विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मापदंडों से संबंधित डेटा एकत्रित करना होता है. उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी आशंका को दूर करेगी. परिसीमन आयोग यह तय करेगा कि प्रक्रिया के बाद कौन-सी सीट महिलाओं को मिलेगी. करीब 11 घंटे तक बहस चली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, कोरोना महामारी के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी. 2024 के आम चुनावों के तुरंत बाद जनगणना की जाएगी.
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