महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव पर कर्नाटक नाराज, CM बोम्मई बोले- हम इंच भर जमीन नहीं देंगे
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महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद चल रहा है. ये मामला 18 साल से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पांच दशकों से भी ज्यादा पुराना है. इसे लेकर हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी और शांति बनाये रखने की अपील की थी.
बेलगाम पर महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने ऐतराज जताया है. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं और मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों को कोई मतलब नहीं है. बोम्मई ने कहा कि हम अपनी इंच जमीन नहीं देंगे. हम अपने लोगों की रक्षा करेंगे और महाराष्ट्र सरकार के फैसले की निंदा करते हैं.
बता दें कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद चल रहा है. ये मामला 18 साल से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पांच दशकों से भी ज्यादा पुराना है. इसे लेकर हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी और शांति बनाये रखने की अपील की थी. कुछ मसलों पर आम सहमति बनने का दावा किया गया था. अब एक बार फिर मसला गरमा गया है. मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ. प्रस्ताव के मुताबिक, कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों को राज्य में शामिल करने के लिए कानूनी रूप से आगे बढ़ा जाएगा.
बोम्मई बोले- हम सीमा के बाहर भी अपने लोगों की रक्षा करेंगे
इस प्रस्ताव पर कर्नाटक सरकार ने आपत्ति जताई है. सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा- महाराष्ट्र संकल्प का कोई मतलब नहीं है. ये कानूनी तौर पर नहीं है. उन्होंने हमारी संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है. हम इसकी निंदा करते हैं. राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुए कई वर्ष बीत चुके हैं. दोनों तरफ के लोग खुश हैं. महाराष्ट्र को राजनीति करने की आदत है. हम अपने रुख पर अडिग हैं. हम अपनी एक इंच जमीन नहीं देंगे. हमारी सरकार सीमा के बाहर भी कन्नड के लोगों की रक्षा करेगी. जब मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है तो वे प्रस्ताव क्यों पारित कर रहे हैं? हमें कोर्ट पर भरोसा है.
'हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय का भरोसा'
बोम्मई ने कहा कि हमारे और उनके संकल्प के तरीके में अंतर देखें. हमने कहा कि हम अपनी जमीन नहीं जाने देंगे. वे कह रहे हैं कि वे हमारी जमीन ले लेंगे. जब मामला सुप्रीम कोर्ट का है तो इन प्रस्तावों का कोई महत्व नहीं है. हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा. हमारा संकल्प सुप्रीम कोर्ट के अनुरूप था. इसे पूरा देश देख रहा है. ये एक जिम्मेदार कदम नहीं है. हम इसकी निंदा करते हैं.
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