महाराष्ट्र में मिले कोरोना के 19 नए मरीज, पुणे में दर्ज किए गए सबसे अधिक केस
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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हालांकि जेएन.1 अत्यधिक संक्रामक है, यह मुख्य रूप से सामान्य सर्दी के समान हल्के लक्षणों का कारण बनता है और फिर सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है. इससे जोखिम कम है. विशेषज्ञों ने लोगों से इससे घबराने की नहीं है.
महाराष्ट्र में कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 के 19 रोगियों की पहचान की गई है. जिसके बाद राज्य में JN.1 की कुल संख्या 29 हो गई है. सबसे अधिक मामले पुणे में दर्ज किए गए हैं. पिछले कुछ दिनों में पूरे भारत में COVID-19 सब-वेरिएंट JN.1 मामलों में वृद्धि देखी गई है और नए साल के जश्न से पहले, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें नए ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट JN.1 के खतरे को लेकर सावधान रहने को कहा है.
जनवरी 2020 में कोरोना फैलने के बाद भारत में कोरोनोवायरस मामलों की कुल संख्या 4,50,12,484 तक पहुंच गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में COVID -19 मामलों के कारण मरने वालों की संख्या 55,33,358 हो गई है. 30 दिसंबर को सात कोरोना मरीजों की मौत की की सूचना मिली थी. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 29 दिसंबर को 41,797 परीक्षण किए गए थे. WHO ने बताया है कि मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर, JN.1 द्वारा उत्पन्न जोखिम कम है. शुक्रवार को, भारत में 797 कोविड-19 मामले दर्ज किए गए थे, जो 19 मई के बाद से सबसे अधिक है, तब एक दिन में 865 मामले दर्ज किए गए थे.
एक्सपर्ट की सलाह विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हालांकि जेएन.1 अत्यधिक संक्रामक है, यह मुख्य रूप से सामान्य सर्दी के समान हल्के लक्षणों का कारण बनता है और फिर सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है. इससे जोखिम कम है. विशेषज्ञों ने लोगों से इससे घबराने की नहीं बल्कि सावधानी बरतने की अपील की है और इस बात पर जोर दिया है कि वायरल श्वसन संबंधी बीमारियों में आमतौर पर सर्दियों के महीनों के दौरान वृद्धि देखी जाती है.
नए साल के करीब आने के साथ, विशेषज्ञों ने गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों और बुजुर्गों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने और फेस मास्क पहनने की सलाह दी है.
ये लक्षण दिखें तो ना करें लापरवाही एम्स मैनेजमेंट द्वारा COVID-19 गाइडलाइन के मुताबिक, SARI (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) जैसे लक्षणों वाले रोगियों का कोविड टेस्ट किया जाएगा जिसमें तीव्र श्वसन संक्रमण, लगातार बुखार या 10 दिन से अधिक 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बुखार हो.
इसके अलावा दूसरे एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 के अलग-अलग वैरिएंट के कारण उसके लक्षणों में बदलाव दिख सकते हैं क्योंकि भारत के लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं. कई लोगों को बूस्टर डोज भी लग चुकी है. हर बॉडी और उसकी इम्यूनिटी के आधार पर लोगों में अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं. सीडीसी ने 8 दिसंबर को जेएन.1 स्ट्रेन पर चर्चा करते हुए एक रिपोर्ट में कहा था, 'जेएन.1 के लक्षण कितने गंभीर पर हैं, यह बात व्यक्ति की इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ पर डिपेंड करती है.'
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