महाराष्ट्र में बंदरों ने बदला लेने के लिए मार डाले 200 पिल्ले - सच क्या है
BBC
महाराष्ट्र के बीड ज़िले के एक गांव में बंदरों ने कुत्तों के 200 पिल्लों को मार डाला - इस ख़बर की बीते कुछ दिनों से काफ़ी चर्चा है. पर क्या सच यही है या कहानी कुछ और भी है.
महाराष्ट्र में मराठवाड़ा के मजलगांव तहसील का लावुल गांव पिछले एक हफ़्ते से पूरी दुनिया में चर्चा में है. इस चर्चा की वजह है यहां के बंदरों और कुत्तों के बीच संघर्ष की ख़बर.
इस ख़बर को लेकर मीडिया संस्थानों में कई तरह के दावे किए गए. कई मीडिया प्रकाशनों ने यह भी दावा किया कि बंदरों ने कुत्तों के 200 पिल्लों को मार डाला. हालांकि जब बीबीसी मराठी ने गांव का दौरा किया और इन दावों की सत्यता की जांच की तो दूसरी तस्वीर सामने आई.
लावुल मराठवाड़ा के बीड ज़िले के मजलगांव तहसील से महज़ पांच से सात किलोमीटर दूर स्थित एक गांव है. 1980 में गांव के पास बह रही नदी पर बांध बनाने की कोशिश के चलते पूरा गांव जलमग्न हो गया था. बाद में इस गांव को पुर्नवासित करके बसाया गया जिसे लावुल नंबर एक गांव कहते हैं.
इस गांव की आबादी पांच हज़ार से ज़्यादा है और गांव का क्षेत्रफल भी बड़ा है. गांव में एक स्कूल, बैंक और अन्य मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं. मजलगांव बांध के बैकवाटर के कारण कृषि के लिए प्रचुर मात्रा में पानी मौजूद है और गन्ने की खेती भी फल-फूल रही है.
यह गांव बीड ज़िले के सबसे अमीर गांवों में गिना जाता है. गांव की समृद्धि की सबसे बड़ी वजह यहां गन्ना उत्पादन है, लेकिन एक ही सिक्के के दो पहलू भी हैं. गन्ना उत्पादक तो अमीर हैं लेकिन गन्ना उत्पादन क्षेत्र में काम करने वाले मज़दूरों की स्थिति बेहद दयनीय है.