महात्मा फुले: जब मारने आए हत्यारे ही बने निकट सहयोगी
BBC
महिलाओं के लिए स्कूल खोलने से लेकर अछूतों के लिए पानी की व्यवस्था करने वाले ज्योतिबा फुले आख़िर महात्मा फुले कैसे बने?
जिस प्रकार गौतम बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल को बौद्ध भिक्षु बना दिया, उसी प्रकार महात्मा फुले की हत्या करने आए दो व्यक्तियों ने भी सामाजिक कार्यों में महात्मा फुले का साथ दिया था. उनमें से एक महात्मा फुले के अंगरक्षक बने जबकि दूसरे सत्यशोधक समाज के अनुयायी बने और किताबें भी लिखीं.
महात्मा फुले ने अपना जीवन महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिए समर्पित किया था. इस काम के चलते उन्हें और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. रूढ़िवादी समाज उन पर ताने मारता था और गाली गलौज भी किया करता था.
कुछ लोगों ने उन पर गोबर भी फेंका लेकिन फुले दंपति ने अपना काम नहीं छोड़ा. इन विरोधों का कोई असर न होते देख कुछ लोगों ने फुले को मारने के लिए दो हत्यारों को भेजा.
फुले दंपति दिन का काम पूरा करने के बाद आधी रात को आराम कर रहे थे. अचानक नींद टूटने पर मंद रोशनी में दो लोगों की छाया दिखी. ज्योतिबा फुले ने ज़ोर से पूछा कि तुम लोग कौन हो?
एक हत्यारे ने कहा, 'हम तुम्हें ख़त्म करने आए हैं', जबकि दूसरा हत्यारा चिल्लाया, 'हमें तुम्हें यमलोक भेजने के लिए भेजा गया है.'