महात्मा गांधी: क्या राष्ट्रपिता अब नोटों और सजावटी सामानों तक ही सिमटकर रह जाएंगे?
BBC
वर्तमान भारत, ख़ासकर भाजपा के बीते साढ़े सात साल के शासन में, गांधी के विचार और उनके आदर्श इस देश में अब कितना मायने रखते हैं? पेश है इसकी पड़ताल करती ये रिपोर्ट.
भारत में आजादी के बाद अहिंसा और सत्याग्रह के मसीहा मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता का सम्मान दिया गया.
लेकिन आज के भारत में, खासकर भाजपा के बीते साढ़े सात साल के शासनकाल में गांधी के विचार और उनके आदर्श इस देश में अब कितना मायने रखते हैं, इस सवाल को बार-बार उठाया गया है.
हाल ही में राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती थोड़ी सादगी के साथ ख़त्म हुई है.
दूसरी ओर गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पूजा और तारीफ खुलेआम की जा रही है. तमाम हिंदुत्ववादी ताक़तें, यहां तक कि भाजपा सांसद भी गोडसे-वंदना में शामिल हैं. बॉलीवुड ने इस साल गांधी जयंती पर गोडसे की बायोपिक बनाने का भी एलान किया है.
क्या आज के भारत में मोहनदास करमचंद गांधी की राष्ट्रपिता की पहचान खत्म हो रही है?