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महाकाल मंदिर की भस्म आरती में अब 'खास बैंड' से ही होगी एंट्री, दिवाली बाद शुरू होगा नया नियम
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नवंबर महीने से महाकाल मंदिर में होने वाली भस्म आरती में रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन यानी आरएफआईडी बैंड से ही प्रवेश मिल सकेगा. मंदिर में श्रद्धालुओं की एंट्री ठीक वैसे ही होगी, जैसे किसी बड़े कंसर्ट और स्टेज शो में दर्शकों की कलाई पर आरएफआईडी बैंड बांधकर कराई जाती है.
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में एक बड़ा बदलाव किया गया है. नवंबर महीने से महाकाल मंदिर में होने वाली भस्म आरती में रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन यानी आरएफआईडी बैंड से ही प्रवेश मिल सकेगा. मंदिर में श्रद्धालुओं की एंट्री ठीक वैसे ही होगी, जैसे किसी बड़े कंसर्ट और स्टेज शो में दर्शकों की कलाई पर आरएफआईडी बैंड बांधकर कराई जाती है. मंदिर समिति का मानना है कि इससे अनाधिकृत प्रवेश रूकेगा और मंदिर आने वाले श्रद्धालु सुविधाजन तरीके से मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे. ये आरएफआईडी रिस्ट बैंड कागज के होंगे, जिनका उपयोग एक बार ही किया जा सकेगा.
दीपावली के बाद शुरू होगी नई व्यवस्था
दीपावली के बाद महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधा आरंभ की जा रही है. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने भस्म आरती में प्रवेश के लिए नई व्यवस्था तैयार की है. जिसके तहत श्रद्धालु की कलाई पर रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन बैंड के माध्यम से ही प्रवेश दिया जाएगा. भस्मारती के लिए महाकाल में श्रद्धालुओं की एंट्री वैसे ही होगी, जैसे किसी बड़े कंसर्ट और स्टेज शो के दौरान दर्शकों की कलाई पर आरएफआईडी बैंड बांधकर कराई जाती है. इस सुविधा से सही यात्री ही मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे और समिति के पास उनकी जानकारी भी उपलब्ध हो जाएगी.
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मंदिर प्रशासन द्वारा इसके लिए मंदिर के मुख्य द्वार पर फ्लैप बैरियर लगाए जाएंगे. इससे इन आरएफआईडी रिस्ट बैंड को जोड़ा जाएगा. बैरियर इन्हीं रिस्ट बैंड के जरिए खुलेंगे. यह टेक्नोलॉजी एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन्स पर यूज की जाती है. मंदिर समिति शुरुआत में इसे प्रायोगिक रूप से लागू करेगी. माना जा रहा है कि इस व्यवस्था को नवंबर के पहले सप्ताह में लागू कर दिया जाएगा, अभी इसके लिए तकनीकी परीक्षण किया जा रहा है. ये रिस्ट बैंड कागज के होंगे, जो एक बार उपयोग के बाद स्वतः ही अनुपयोगी हो जाएंगे.
मंदिर के एक अधिकारी मूलचंद जूनवाल ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती के लिए जो श्रद्धालु आते हैं, उनको एक नई सुविधा दी जा रही है. अब उनकी कलाई पर एक बेल्ट बांधा जाएगा, जिससे क्यूआर कोड से ये स्कैन हो जाएगा कि कौन यात्री प्रवेश कर रहा है. ये यूज एंड थ्रो रहेगा, वो कागज का बेल्ट रहेगा. उसे शीघ्र ही लागू किया जा रहा है बेल्ट तैयार हो रहा है. बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें शिव का सबसे पवित्र निवास स्थान माना जाता है. यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है. यह मंदिर पवित्र शिप्रा नदी के किनारे है.
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